मिशन रफ़्तार 160 KMPH प्रोजेक्ट में कवच टावर की अभूतपूर्व भूमिका
कोटा। पश्चिम मध्य रेलवे के कोटा मंडल में मिशन रफ़्तार (mission raftar) 160 किमी/घंटा पर तीव्र गति से कार्य किया जा रहा है। इसमे नई दिल्ली-मुम्बई मार्ग के 545 किलोमीटर दूरी के मथुरा-नागदा सेक्शन को इंजीनियरिंग, सिग्नल एवं टेलीकाम, विधुत और यांत्रिक विभागों द्वारा कुल 2664.14 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जा रहा है।
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक रोहित मालवीय ने बताया कि इन कार्यों में सबसे महत्वपूर्ण एवं सुरक्षा दृष्टिकोण से किया जाने वाला कार्य कवच टावर (Kavach Tower) स्थापित करने का है। मिशन रफ़्तार प्रोजेक्ट पर सिग्नल एवं दूरसंचार विभाग पर 428.26 करोड़ रुपये व्यय किया जाना है।
उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में कुल 130 कवच टावर को लगाया जाना है। जिसके अंतर्गत पश्चिम मध्य रेलवे का पहला कवच टावर मथुरा-गंगापुर सिटी सेक्शन के पिंगोरा-सेवर स्टेशनों के मध्य समपार फाटक संख्या 232 पर लगाया गया एवं दूसरा बयाना स्टेशन पर स्थापित किया गया। जिसके लिए सर्वप्रथम कवच टावर का बेस इंस्टॉल किया गया।
उन्होंने बताया कि यह तकनीकी दृष्टि से बेहद ही जटिल कार्य है। इसमें टावर के बेस को तीन किस्तों में मिलीमीटर के स्तर तक लेवल किया जाता है। इस कठिन कार्य को कोटा मंडल के सिग्नल एवं टेलीकॉम टीम द्वारा सफलता से दो जगह शुरू किया गया है। अब इसे तेजी से मथुरा से नागदा के पूरे खंड में लगाया जाएगा।
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक ने बताया कि यह सिस्टम ट्रेन की सुरक्षा हेतु अभी केवल विकसित राष्ट्रों में है, जिसे अब मुंबई-दिल्ली एवं मुंबई-हावड़ा रूट पर दक्षिण मध्य रेलवे में सफल ट्रायल के बाद लगाया जा रहा है। पश्चिम मध्य रेल में यह कार्य पहली बार किया जा रहा है।
कवच टावर की प्रमुख विशेषताएं
रेलगाड़ियों की टक्कर दुर्घटनाओं को रोकना, असामान्य परिस्थितियों में गाड़ी में बेकिंग करना एवं कुहासे के मौसम में सिग्नल से चालक दल को अवगत करना जिससे गाड़ी का समयपालन सुनिश्चत हो सके इत्यादि ।