कोटा। एमएसएमई प्रदर्शनी एवं मेले में रविवार का पूरा दिन दर्शकों ने जहां एमएसएमई उद्योगों के उत्पादों और नवाचारों की जानकारी ली, जमकर शॉपिंग की और खाने-पीने का लुत्फ उठाया वहीं रात को स्वराग बैंड के राग, रंग और धूम ने पूरे माहौल को उल्लास और खुशी से भर दिया। मस्ती भरे इंडो-वेस्टर्न फ्यूजन म्यूजिक पर एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं था जो खुद को थिरकने से रोक सका हो।
राजस्थानी संस्कृति और आतिथ्य की परम्परा के जीवंत गीत पधारो म्हारे देस से शुरू कर स्वराग बैंड ने अपनी पहली ही प्रस्तुति से वहां मौजूद दर्शकों को बांध दिया। लेकिन इस गीत को प्रस्तुत करते हुए भी स्वराग ने अपनी छाप अलग से छोड़ी। उन्होंने गीत में स्वरचित छंदों को जोड़कर इसको और प्रभावी बना दिया।
इसके बाद देशभक्ति गीत रंग दे बसंती चोला, सूफी गाने तेरी दीवानी, ऐ जी सखी मंगल गाओ री, आओगे जब तुम सामने, आफरीन-आफरीन, तेरे बिन नहीं लगदा दिल मेरा ढोलना, बिन तेरे क्या जीना, ओ कबीरा मान जा जैसे गानों की श्रंखला दशहरा मैदान में रविवार की शाम को यादगार बना दिया। वहां मौजूद दर्शकों का कहना था कि लंबे अर्से के बाद दिल का सुकून देने वाले संगीत को सुनकर होली का मजा दुगुना हो गया। करीब दो घंटे चले इस कार्यक्रम में दर्शक अंत तक प्रस्तुतियों का आनंद लेते रहे।
जम कर चला जुगलबंदी का जादू
कार्यक्रम के दौरान ही स्वराग बैंड के सदस्यों की जुगलबंदी का जादू खूब चला। गिटार, खड़ताल, ड्रम, सेक्सोफोन, सितार जैसे वाद्यों पर स्वराग बैंड के सदस्यों की थिरकती अंगुलियों ने सबको मंत्र मुग्ध कर दिया। जुगलबंदी की शानदार प्रदर्शन को दर्शकों ने जमकर सराहा और कलाकारों को जमकर दाद दी।