-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। Tobacco Waste: राजस्थान में जोधपुर के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि देश में तंबाकू के सेवन से हर साल लाखों लोग तो मर जाते हैं, लेकिन तंबाकू उत्पादों का कचरा इतना अधिक होता है कि उस कचरे से एक बोइंग 747 विमान को बना कर खड़ा किया जा सकता है।
राजस्थान के कोटा में शुक्रवार को निरोगी राजस्थान के तहत तम्बाकू मुक्त राजस्थान अभियान (Tobacco Free Rajasthan Campaign) में तम्बाकू मुक्त कोटा बनाने के लिये आयोजित मीडिया कार्यशाला अभियान के संयोजक राजन चौधरी ने बताया कि एम्स जोधपुर के अनुंसधान व अध्ययन के अनुसार 7000 टन कचरा तम्बाकू उत्पादों से होता है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है।
श्री चौधरी ने बताया कि तम्बाकू उत्पादो से होने वाले कचरे से 30 लाख बाल्टी प्लास्टिक की बनाई जा सकती है। 60 हजार पेड़ बचाये जा सकते हैं। 32 लाख नोट बुक बन सकती है। एक बोइंग विमान 747 का निर्माण करवाया जा सकता है और 3.58 लाख टी शर्ट बनाये जा सकते हैं । चौधरी ने कहा कि जो लोग पहले से तम्बाकू उपभोगी हैं, वे तम्बाकू छोडें या नहीं, लेकिन नई पीढी को तो बचाया जा सकता है।
श्री चौधरी ने यह भी बताया कि विश्व में तम्बाकू उत्पादों के उपभोग से प्रतिवर्ष 80 लाख लोगों की मौत हो जाती है। वहीं भारत में प्रतिवर्ष 15 लाख लोगों की मौत होती है। जबकि राजस्थान में प्रतिवर्ष करीब 80 हजार लोग मौत के शिकार हो जाते हैं। राजस्थान में प्रतिदिन 220 लोग तम्बाकू से होने वाली बीमारी के कारण मौत के आगोश में चले जाते हैं।
श्री चौधरी ने कहा कि राजस्थान को तम्बाकू मुक्त राजस्थान बनाने के लिये सभी 33 जिलों में कार्य किया जा रहा है।
राज्य सरकार के साथ भी एडवोकेसी की जा रही है कि तम्बाकू उत्पादों को बन्द करें या फिर शराब की तरह निर्धारित दुकानों के लाइसेंस देकर बेचे, ताकि युवा पाढी को तम्बाकू उत्पादों से दूर रखा जा सके। चौधरी ने बताया कि राज्य में प्रतिवर्ष 10 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त हो सकता है परन्तु वतर्मान में गत कई वर्षों से 350-400 करोड़ का ही राजस्व प्राप्त हो रहा है।
श्री चौधरी ने एक अध्ययन के आधार पर बताया कि राज्य मे 15 वर्ष से अधिक उम्र वाले लोगों द्वारा करीब 22 हजार करोड़ रुपये का पान मसाला, गुटका व तम्बाकू उत्पादों का उपभोग किया जाता है। प्रतिदिन राज्य में करीब 61 करोड रुपये के तम्बाकू उत्पादों का उपयोग किया जाता है। राज्य की 2.40 करोड़ की जनता प्रतिदिन 61 करोड रुपये का अनाज नही खाती हैं। जबकि एक तिहाई लोग तम्बाकू उत्पाद खा जाते हैं ।
कार्यशाला में उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. घनश्याम मीणा ने कहा कि कोटपा-2003 का प्रभावी क्रियान्वयन तथा विद्यालयों में तम्बाकू के दुष्प्रभावों की जानकारी देकर युवा पीढी को तम्बाकू मुक्त रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि तम्बाकू मुक्त शिक्षण संस्थान बनाने से युवा पीढी को तम्बाकू उत्पादों से दूर रखा जा सकता है। जिला तम्बाकू नियन्त्रण प्रकोष्ठ व एस.आर.के.पी.एस. के संयुक्त तत्वाधान में कोटपा-2003 के तहत कार्यवाही व जागरूकता के कार्य किये जा रहे हैं। मीणा ने कहा कि कोटा शिक्षा नगरी को तम्बाकू मुक्त शिक्षण संस्थान अतिशीघ्र बनाया जायेगा।
जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. सत्यनारायण मीणा ने कहा कि तम्बाकू उपभोग से टी.बी., कैंसर सहित अनेक बीमारियां होने की सम्भावना रहती है।सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक हरिओम गुर्जर ने मीडिया कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए कहा कि तम्बाकू मुक्त कोटा बनाने में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। जिसे निभाते हुए मीडियाकर्मी अपने कार्यालय व घर को तम्बाकू मुक्त बनाये। उन्होंने पत्रकारो को तम्बाकू उपभोग नहीं करने की शपथ भी दिलवाई।