-कृष्ण बलदेव हाडा-
कोटा। सांगोद विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और पूर्व में कैबिनेट मंत्री रहे भरत सिंह कुंदनपुर ने खान की झोपड़ियां गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग को लेकर अब फिर से 10 फरवरी को कोटा में जिला कलेक्ट्री के बाहर धरना-प्रदर्शन कर भ्रष्टाचार के प्रति विरोध स्वरूप पुतला जलाने की घोषणा की है।
श्री सिंह ने कोटा के जिला मजिस्ट्रेट को भेजे पत्र में इस बारे में सूचना देते हुए बताया कि इसी दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने इस कार्यकाल में राजस्थान का पांचवा बजट पेश करने जा रहे हैं। चूंकि सरकार बनाने से पहले मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त नीति अपनाने का ऐलान करते हुए भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति की घोषणा की थी।
इसलिए वे मुख्यमंत्री को इस संकल्प को याद दिलाते हुए उनके हाथ मजबूत करने के लिए ही यह धरना-प्रदर्शन कर भ्रष्टाचार के प्रतीक का पुतला जलाना चाहते हैं। उन्होंने अपने इस पत्र की प्रतिलिपि कोटा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक को भी भेजी है ताकि आवश्यक व्यवस्था की जा सके।
उल्लेखनीय है कि पिछले काफी अर्से से श्री सिंह काली सिंध नदी के किनारे पलायथा गांव के पास स्थित खान की झोपड़ियां गांव को कोटा जिले में शामिल करने की मांग को लेकर आंदोलित हैं। इसा गांव को वर्ष 1991 में 10 अप्रेल को कोटा से अलग कर बारां जिला बनाते समय काली सिंध नदी के पश्चिमी छोर पर होते हुए भी बारां जिले की सीमा में शामिल कर लिया गया था।
श्री सिंह का कहना है कि यह एक प्रशासनिक चूक हुई थी जिसे अब सुधारे जाने की आवश्यकता है। इसलिए वह लगातार मांग करते रहे हैं कि खान की झोपड़ियां गांव को बारां जिले के मानचित्र से हटाकर कोटा जिले की सीमा में शामिल किया जाए। क्योंकि यह गांव व्यापक अवैध खनन की गतिविधियों और खनन माफियाओं की सरगर्मियों का केंद्र बन गया है। उसे बारां जिले के न केवल प्रशासनिक बल्कि राजनीतिक तंत्र का भी संरक्षण हासिल है।
खान की झोपड़िया गांव की जमीन को अवैध खनन से मुक्ति दिलाने के लिए यह अत्यंत आवश्यक है कि इसे कोटा जिले में शामिल किया जाए। वैसे भी नैसर्गिक रूप से कोटा जिले का ही हिस्सा होना चाहिए। इस बात को बारां जिले के प्रभारी मंत्री राजेंद्र सिंह गुढ्ढा भी इस गांव के अपने अल्पकालीन दौरे के समय स्वीकार कर चुके हैं। उन्होंने भी कहा था कि यह गांव आखिर बारां जिले में कैसे है?
श्री सिंह ने इसी मांग को लेकर मंगलवार को भी कोटा में कलक्ट्री पर धरना देने की घोषणा की थी। उस समय उनके समर्थक घोषणा के अनुरूप धरना स्थल पर पहुंचे भी थे, लेकिन स्वयं श्री सिंह इसमें शामिल नहीं हो पाए थे। क्योंकि मंगलवार को ही कोटा में संभाग स्तरीय संवाद बैठक आयोजित की गई थी, जिसमें राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा और प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने भी भाग लिया था।
श्री डोटासरा ने श्री सिंह को व्यक्तिगत रूप से फोन करके इस बैठक में शामिल होने के लिए कहा था। तब श्री सिंह ने कलक्ट्री पर आयोजित धरने पर जाने की जगह इस बैठक में शामिल होना उचित समझा। उन्होंने कहा कि यदि वे प्रदेश अध्यक्ष श्री डोटासरा की बात को नहीं मानते तो यह अभ्रदता होती।
इस बैठक के दौरान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह, डोटासरा और राजस्थान के प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने विभिन्न मसलों पर अलग से श्री सिंह के साथ विस्तार से बातचीत भी की थी। इस बातचीत के बाद भरत सिंह ने संतोष व्यक्त किया था।
यहां तक कि स्वयं श्री डोटासरा ने मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा था कि श्री सिंह हमेशा कांग्रेस के साथ थे, हमेशा कांग्रेस के साथ रहने वाले हैं। उन्हें कोई गिला-शिकवा था तो वह दूर कर दिया गया है।
उनकी सभी बातों को ध्यान से सुना गया है और वे संतुष्ट हैं। श्री सिंह ने भी इस बातचीत को संतोषजनक बताया था। मंगलवार को कोटा में हुए इस संवाद कार्यक्रम में खनन मंत्री और बारां जिले की अंता विधानसभा क्षेत्र से वर्तमान में कांग्रेस के विधायक प्रमोद जैन भाया भी उपस्थित हुए थे, जिनके विधानसभा क्षेत्र में सम्मिलित खान की झोपड़िया गांव को कोटा जिले की सीमा में शामिल करने की मांग को लेकर भरत सिंह काफी समय से आंदोलन करते रहे हैं।
राजनीति में विवाद तो चलते रहते हैं : भाया
इसके खिलाफ कोटा, बारां जिले सहित प्रदेश भर में हो रहे अवैध खनन के मसले को लेकर श्री जैन के मुखर विरोधी रहे हैं। श्री जैन ने इस बात को स्वीकार किया कि पार्टी की राजनीति में श्री सिंह उनके वरिष्ठ हैं और वे उनका सम्मान करते हैं। राजनीति में विवाद तो चलते रहते हैं। उन्हें तो खान की झोपड़ियां क्या पूरा बारां जिला ही कोटा जिले में शामिल कर ले तो भी कोई दिक्कत नहीं है।