नई दिल्ली। सरकारी क्षेत्र के आईडीबीआई बैंक का विनिवेश (IDBI Bank Disinvestment) अगले वित्त वर्ष (FY 2023-24) में पूरा हो जाएगा। इसका मतलब है कि अप्रैल 2023 से मार्च 2024 के बीच इस बैंक का निजीकरण (Privatization) हो जाएगा।
डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट (दीपम) सचिव तुहिन कांता पांडे ने सोमवार को एक इंटरव्यू में यह बात कही। इससे पहले पांडे ने कहा था कि आईडीबीआई बैंक में केंद्र और एलआईसी की हिस्सेदारी की बिक्री के लिए कई एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रस्ट मिले हैं। पांडे ने इस विनिवेश प्रक्रिया को यूनिक बताया।
उन्होंने दावा किया कि विनिवेश के बाद मैनेजमेंट कंट्रोल का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि वित्तीय बोलियां आने के बाद रिजर्व प्राइस निर्धारित किया जाएगा।
3-4 महीने में होगा ड्यू डिलिजेंस: पांडे ने कहा कि अभी आईडीबीआई बैंक के लिए बोलीदाताओं के नाम और उनकी संख्या का खुलासा नहीं किया जा सकता। इस प्रोसेस का अगला चरण वर्चुअल डाटा रूम का एक्सेस देना और सवालों के समाधान करने से जुड़ा है। पांडे ने कहा, ‘ड्यू डिलिजेंस प्रोसेस टाइमलाइन की फैक्टर्स पर डिपेंड करेगी। आमतौर पर इसमें 3-4 महीने का समय लगता है।’ ट्रांजेक्शन अब दूसरे चरण में जाएगा। इसमें संभावित बोलीदाता वित्तीय बोलियां देने से पहले ड्यू डिलिजेंस करेंगे।
बिकेगी 60.72 फीसदी हिस्सेदारी: सरकार और एलआईसी दोनों मिलकर आईडीबीआई बैंक में 60.72 फीसदी हिस्सेदारी बेचना चाहते हैं। इन्होंने अक्टूबर में संभावित खरीदारों से बोलियां मंगवाई थीं। प्रारंभिक बोलियों या ईओआई सबमिट करने की लास्ट डेट 16 दिसंबर थी। इसे बढ़ाकर 7 जनवरी कर दिया गया था।
सरकार और एलआईसी के पास 94.7% हिस्सेदारी: इस समय सरकार और एलआईसी के पास आईडीबीआई बैंक में कुल 94.71 फीसदी हिस्सेदारी है। सफल बोलीदाता को पब्लिक शेयरहोल्डिंग के 5.28 फीसदी के अधिग्रहण के लिए ओपन ऑफर लाना होगा। इससे पहले दीपम ने कहा था कि संभावित खरीदारों के पास 22,500 करोड़ रुपये की न्यूनतम नेटवर्थ होनी चाहिए। साथ ही बैंक की बोली योग्यता को पूरा करने के लिए पिछले 5 साल में से 3 साल शुद्ध रूप से मुनाफे में होना चाहिए।