चार जिलों से शुरू होगा पायलट प्रोजेक्ट
नई दिल्ली/कोटा। राजस्थान में 0 से 18 साल तक के शिशु, बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बड़ी पहल की है। इन बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी करीब 32 प्रकार की जांचें निशुल्क होंगी, जिससे उनके स्वस्थ भविष्य का मार्ग प्रशस्त होगा। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर जल्द ही यह योजना कोटा, बूंदी, सीकर और दौसा में प्रारंभ होगी।
राजस्थान में 0 से 18 वर्ष के बच्चों और युवाओं की संख्या ढाई करोड़ से अधिक है। इन सभी का यदि कम उम्र में ही स्वास्थ्य परीक्षण हो तो उन्हें भविष्य में होने वाली किसी भी बीमारी या संभावित स्वास्थ्य खतरे से बचाया जा सकता है। इसके लिए फिलहाल तीन अलग-अलग योजनाएं चल रही हैं, लेकिन उसके प्रभावी परिणाम नहीं आ रहे हैं।
वहीं उन योजनाओं के माध्यम से से सभी बच्चों तक भी नहीं पहुंचा जा रहा है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए स्पीकर बिरला ने सभी योजनाओं को समेकित कर इसके लिए यह कार्ययोजना तैयार की है, जिसमें जमीनी स्तर पर कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों को भी सम्मिलित किया जाएगा।
इस योजना के तहत नवजात शिशुओं, आंगनवाड़ी केंद्रों तथा राजकीय विद्यालयों में स्वास्थ्य परीक्षण के लिए विशेष शिविरों का आयोजन किया जाएगा। इन शिविरों में बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य के साथ उनके हृदय, कान, नाक, त्वचा, शारीरिक विकास में अवरोध के कारणों, गैर संक्रामक रोग, जन्मजात बीमारियों के साथ कई अन्य बीमारियों के लिए स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा।
स्वास्थ्य परीक्षण के बाद इन बच्चों का डिजिटल हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा, जिसमें उनके स्वास्थ्य परीक्षण संबंधी समस्त जानकारी अंकित की जाएगी। परीक्षण में पाई गई बीमारियों के उपचार के संबंध में की जाने वाली समस्त कार्यवाही की जानकारी भी कार्ड में अंकित की होगी। इस डिजिटल कार्ड के माध्यम से चिकित्सक उनकी क्लिनिकल हिस्ट्री से जुड़ी सारी देख पाएंगे।
योजना की तैयारियों को लेकर स्पीकर बिरला ने सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण, अतिरिक्त सचिव मनोहर अगनानी, संयुक्त सचिव विशाल चौहान तथा डा पी अशोक बाबू व लोक सभा के संयुक्त सचिव सिद्धार्थ महाजन, कल्याण अधिकारी डा सौरभ शर्मा के साथ बैठक की। स्पीकर बिरला ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए कार्य योजना इस प्रकार बनाई जाए कि हम अधिकतम बच्चों तक पहुंच कर उनकी जांच कर सकें।
गंभीर रोगियों का होगा निशुल्क उपचार
आंगनवाड़ियों और विद्यालयों में स्वास्थ्य परीक्षण के आधार पर ऐसे बच्चों को चिन्हित किया जाएगा जो गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं। इन बच्चों का जिला अथवा प्रदेश स्तरीय अस्पताल में उपचार करवाया जाएगा। यदि राजस्थान के बाहर उपचार की आवश्यकता हुई तो उसकी भी निशुल्क व्यवस्था की जाएगी।