दिनेश माहेश्वरी , कोटा। जीएसटी के बाद 20 नवंबर से शुरू हो रहे पहले वेडिंग सीजन की चमक इस बार कुछ फीकी नजर रही है। वैसे देश में शादी इंडस्ट्री करीब तीन लाख करोड़ रुपए वार्षिक की है। लेकिन इस बार डेस्टीनेशन वेडिंग से लेकर वेडिंग प्लानर्स द्वारा करवाई जाने वाली महंगी शादियों तक की संख्या में कमी रही है।
महंगी शादियों के बजट में भी 10 फीसदी तक की कटौती हुई है। इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम का मानना है कि शादियों में मुख्य भूमिका निभाने वाली सभी महत्वपूर्ण चीजें जैसे ज्वैलरी, कपड़ा, होटल-रेस्तरां सर्विसेज, ब्यूटी प्रोडक्ट और अन्य महत्वपूर्ण वस्तुओं पर पहले की तुलना में जीएसटी अधिक दर से लगा है।
इसलिए लगातार 20 फीसदी वार्षिक की दर से बढ़ रही इस इंडस्ट्री की रफ्तार पर भी इस बार लगाम लग सकती है। इस बार ग्रोथ सिर्फ पांच फीसदी रह सकती है। यानी हर बार से 15 फीसदी कम। अनुमान है कि देश मंे प्रतिवर्ष एक करोड़ से 1.2 करोड़ शादियां होती हैं।
पंडित मनीष शर्मा के अनुसार इस वर्ष नवंबर से जुलाई तक कुछ 64 शादियों के मुहूर्त हैं। पिछले वर्ष 67 मुहूर्त थे। देश के चोटी के बड़े वेडिंग प्लानर द्वारा करवाई जा रही शादियों का औसतन खर्च 2.5 से 14 करोड़ रुपए तक होता है।
व्यस्तता और समय की कमी के कारण शादी में गणेश पूजा से लेकर विदाई तक की सारी जिम्मेदारी वेडिंग प्लानर निभा रहे हैं। देश में करीब तीन लाख वेडिंग प्लानर सक्रिय हैं। एप और वेबसाइट भी हैं, जिनसे बड़ी संख्या में फैशन डिजाइनर्स, डेकोरेटर्स और वेडिंग प्लानर्स जुड़े होते हैं।
देश में वीवीआईपी शादी करवाने वाले प्रमुख वेडिंग प्लानर ने बताया कि इस बार बाजार ठंड़ा है। हम हर सीजन में दो दर्जन से अधिक शादियां करवाते हैं, लेकिन अभी हमारे पास चुनिंदा ही ऑर्डर हैं, काम नहीं हैं।
देश में शूटिंग और अपने विशेष तरह के फिल्मी सेट्स के लिए पहचानी जाने वाली रामोजी फिल्म सिटी के सीईओ राजीव जालनापुरकर कहते हैं कि नवंबर से फरवरी तक हमारे यहां 12 से 13 बुकिंग हुई हैं। बुकिंग संख्या में हमारे यहां कोई फर्क नहीं आया है।
हां, यह अवश्य है कि शादियों के खर्च में 10 फीसदी की कमी आई है। खासकर डेकोरेशन में लोग कम पैसा खर्च कर रहे हैं। एक बात और है कि हमारे यहां पिछले कुछ सालों से पूर्वी भारत और दूर के शहरों से लोग बुकिंग कर रहे थे उस रुझान में थोड़ी कमी आई है।
इंडस्ट्री चैंबर एसोचैम के डायरेक्टर जनरल डीएस रावत के मुताबिक शादियों में दिए जाने वाले गिफ्ट और नगदी को छोड़ दिया जाए तो देश में होने वाली शादियों से जुड़ी विभिन्न गतिविधियों का बाजार करीब 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक है।