लोक सभा अध्यक्ष ने केंद्रीय वित्त तथा कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक ली
नई दिल्ली/ कोटा। फसल बीमा होने के बाद भी किसानों को बीमा का लाभ नहीं मिल रहा। फसल बीमा कंपनियां इसमें लापरवाही बरत रही हैं। आने वाले समय में किसान पर फसल के खराबे और प्रीमियम जमा होने के बाद भी बीमा राशि नहीं मिलने की दोहरी मार नहीं पड़े, इसके लिए सिस्टम में सुधार करें। यह बात लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को किसान प्रतिनिधियों की उपस्थिति में केंद्रीय वित्त तथा कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से कही।
पिछले दिनों संसदीय क्षेत्र कोटा-बूंदी सहित सम्पूर्ण राजस्थान में अतिवृष्टि और बाढ़ से फसलों को भारी नुकसान हुआ था। स्पीकर ओम बिरला के कोटा-बूंदी दौरे के समय आयोजित समीक्षा बैठक में उन्हें किसानों को फसल बीमा नहीं मिलने की जानकारी मिली थी। दिल्ली लौटने के तुरन्त बाद स्पीकर ओम बिरला ने बुधवार को संसद भवन परिसर में बैठक बुलाई थी।
बैठक में स्पीकर बिरला ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि किसान निराश हैं कि उन्हें फसल बीमा का लाभ नहीं मिल रहा है। कई ऐसे किसान हैं जिन्हें तीन-चार साल पुराना मुआवजा तक नहीं मिला है। बीमा कंपनियां किसानों का अहित नहीं करें, इसके लिए हमें अधिक सक्रियता से काम करना होगा तथा फसल बीमा नीति में जरूरी बदलाव करने पर विचार करना होगा।
स्पीकर बिरला ने कहा कि अतिवृष्टि या बाढ़ की स्थिति फसल को नुकसान की सूचना 72 घंटे में देने का प्रावधान है। अनेक बार काॅल सेंटर पर फोन नहीं लगने तथा वेबसाइट पर रेस्पोंस नहीं मिलने से किसान यह सूचना नहीं दे पाता। इस बात पर किसान को बीमा लाभ से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। अधिकारी नुकसान की सूचना ग्राम पंचायत या ग्राम सहकारी समिति के माध्यम से भी दिए जाने के प्रावधान की संभावना तलाशें।
स्पीकर बिरला ने कहा कि फसल को हुए नुकसान के सर्वे के बाद किसान को कोई जानकारी नहीं दी जाती। उससे खाली सर्वे रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करवा लिए जाते हैं। सर्वे रिपोर्ट को बाद में भरा जाता है जिससे किसान को पता ही नहीं चलता कि उसका कितना खराबा अंकित किया गया है। बाद में मामूली मुआवजा मिलने पर वह खुद को ठगा सा महसूस करता है। अधिकारी सर्वे टीम को निर्देश दें कि सर्वे रिपोर्ट मौके पर ही भरा जाए तथा उसकी एक प्रति किसान को भी अनिवार्य रूप से दी जाए ताकि सहमति नहीं होने पर किसान समय रहते आपत्ति दर्ज करवा सके।
स्पीकर बिरला ने कहा कि खेत पर किसान की बोई फसल तथा पटवारी की रिपोर्ट और बैंक द्वारा फसल बीमा रिकाॅर्ड में अंकित की गई फसल में अंतर होने के कारण भी किसानों को बीमा क्लेम निरस्त कर दिया जाता है। अक्सर पटवारी और बैंक अपडेशन का काम नहीं करते। किसान तकनीकी रूप से इतने सक्षम नहीं हैं कि वे खुद पोर्टल में फसल में बदलाव अंकित कर सकें। बैंक की ओर से भी उन्हें बीमा पाॅलिसी उपलब्ध नहीं करवाई जाती जिससे उन्हें अंकित फसल के बारे में पता चल सके। इसका नुकसान किसान को ही होता है। किसान अपनी फसल की सूचना ई-मित्र के माध्यम से भी बीमा रिकाॅर्ड में समय पर अपडेट करवा सके। उन्हें बीमा पाॅलिसी भी ई मित्र के माध्यम से मिल सके इसके लिए भी सिस्टम में प्रावधान किए जाएं।
स्पीकर बिरला ने अधिकारियों से कहा कि बंटाई पर ली गई भूमि पर बीमा राशि को लेकर भी अक्सर विवाद होता है। नुकसान बंटाईदार को होता है जबकि मुआवजा जमीन मालिक के खाते में जमा हो जाता है। इस तरह के मामलों में बीमा राशि सही व्यक्ति को मिले, इसके लिए नीति में बदलाव की संभावना तलाशें। भूखण्ड मालिक और बंटाईदार के बीच लिखित एग्रीमेंट की प्रवृति को प्रोत्साहित किया जाए। लिखित एग्रीमेंट नहीं हो तो सादा कागज पर दोनों पक्षा के सहमति पत्र अथवा पटवारी के प्रमाण पत्र के उपयोग की भी संभावना तलाशी जाए।
स्पीकर बिरला ने बीमा कंपनियों के प्रति इस बात पर भी नाराजगी जताई कि एक खातेदार के कई खसरों में खेती होने पर कंपनी सिर्फ सबसे छोटे खसरे का भुगतान करती है। जब बीमा प्रीमियम सभी खसरों का दिया गया है और खराबा भी सभी खसरों में हुआ है तो सभी खसरों को मुआवजा किसान को खाता संख्या के अनुसार मिले, यह अधिकारी सुनिश्चित करें।
इसके अलावा फसल की बुआई असफल होने या फसल में फूल आने से पहले प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान होने पर भी बीमा कंपनी से 25 प्रतिशत के मुआवजे का प्रावधान हैं। अधिकारी चाहें तो रिकाॅर्ड चेक कर लें, कंपनियां किसी भी किसान को इतना मुआवजा नहीं दे रही हैं। इस बारे में भी अधिकारी बीमा कंपनियों से बात कर सुनिश्चित करें कि किसानों को बीमा क्लेम मिल सके।
बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्रालय के सचिव संजय मल्होत्रा, संयुक्त सचिव सौरभ मिश्रा, केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय के सचिव मनोज आहूजा, संयुक्त सचिव रितेश चौहान, लोक सभा के संयुक्त सचिव सिद्धार्थ महाजन, लोक सभा अध्यक्ष के विशेष कार्याधिकारी राजीव दत्ता, पूर्व विधायक हीरा लाल नागर, सांगोद प्रधान जयवीर सिंह, उपप्रधान ओम अडूसा, जिला परिषद सदस्य, सरपंच सहित बड़ी संख्या में किसान प्रतिनिधि उपस्थित रहे।