यूके को पछाड़ भारत दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बना

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नई दिल्‍ली। India surpasses UK: भारत ब्रिटेन को पछाड़ कर दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था (Indian Economy) बन गया है। उसके आगे अब सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी हैं। ब्रिटेन का भारत से पिछड़ना ब्रितानी सरकार के लिए बड़ा झटका है।

वह इन द‍िनों कई तरह की दुश्‍वारियों से गुजर रही है। ब्रिटेन में ‘कॉस्‍ट ऑफ लिविंग’ (Cost of Living) लगातार बढ़ती जा रही है। इसके उलट ग्रोथ बेहद सुस्‍त है। दूसरी तरफ भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में शुमार है। चालू वित्‍त वर्ष की पहली त‍िमाही (अप्रैल-जून) में भारत की अर्थव्‍यवस्‍था 13.5 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी है।

इस साल भारत की अर्थव्‍यवस्‍था के 7 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने के अनुमान हैं। MSCI इमर्जिंग मार्केट्स इंडेक्‍स में उसका वजन तिमाही में दूसरे नंबर पर रहा है। वह इस मामले में सिर्फ चीन से पीछे था। भारत पर कभी ब्रिटेन ने हुकूमत की है। 1947 से पहले तक भारत उसकी कॉलोनी हुआ करता था। 2021 के अंतिम तीन महीनों में भारत ने ब्रिटेन को मात दी है। अंतरराष्‍ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के आंकड़ों के अनुसार, यह कैलकुलेशन अमेरिकी डॉलर पर आधारित है।

ब्र‍िटेन को नए पीएम की तलाश: यह खबर ऐसे समय आई है जब ब्रिटेन में नए प्रधानमंत्री को खोजने की कवायद तेज है। कंजर्वेजिट पार्टी के सदस्‍यों ने सोमवार को बोरिस जॉनसन का उत्‍तराधिकारी चुना। उम्‍मीद है कि विदेश मंत्री लिज ट्रस पूर्व वित्‍त मंत्री ऋषि सुनक को पीछे छोड़ देंगी। ब्रिटेन में चार दशकों में सबसे तेजी से महंगाई बढ़ी है। उस पर मंदी का संकट गहराता जा रहा है। बैंक ऑफ इंग्‍लैंड का कहना है कि 2024 तक यह स्थिति बनी रहेगी। ऐसे में जो कोई भी नया प्रधानमंत्री बनेगा उसके सामने कई चुनौतियां होंगी।

क‍ितनी बड़ी है भारत की अर्थव्‍यवस्‍था: डॉलर एक्‍सचेंज रेट के हिसाब से नॉमिनल कैश टर्म्‍स में भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का आकार मार्च तिमाही में 854.7 बिलियन डॉलर रहा। इसी आधार पर ब्रिटेन की अर्थव्‍यवस्‍था का साइज 816 अरब डॉलर था। आईएमएफ डेटाबेस और ब्‍लूमबर्ग टर्मिनल के हिस्टोरिकल एक्‍सचेंज रेट का इस्‍तेमाल करते हुए यह कैलकुलेशन किया गया।

पाउंड 8 फीसदी कमजोर: कैश के मामले में दूसरी तिमाही में ब्रिटेन की जीडीपी सिर्फ 1 फीसदी बढ़ी है। इसमें महंगाई को एडजस्‍ट कर दिया जाए तो जीडीपी 0.1 फीसदी सिकुड़ी है। रुपये के मुकाबले पाउंड सटर्लिंग का प्रदर्शन डॉलर की तुलना में कमजोर रहा है। इस साल भारतीय करेंसी की तुलना में पाउंड 8 फीसदी कमजोर रहा है। इसके बाद भारत अब सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी से पीछे रह गया है। एक दशक पहले बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं में भारत 11वें पायदान पर था। वहीं, ब्रिटेन 5वें पायदान पर काबिज था।