नई दिल्ली। Fair and Remunerative Price: केंद्र सरकार ने अक्टूबर से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2022-23 के लिए गन्ना उत्पादकों को चीनी मिलों द्वारा दिये जाने वाले न्यूनतम मूल्य को 15 रुपये बढ़ाकर 305 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने चीनी विपणन वर्ष 2022-23 (अक्टूबर-सितंबर) के लिए 10.25 प्रतिशत की बुनियादी वसूली दर वाले गन्ने के उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को 305 रुपये प्रति क्विंटल करने की मंजूरी दे दी है। इस निर्णय से लगभग पांच करोड़ गन्ना किसानों और उनके आश्रितों के साथ-साथ चीनी मिलों और संबंधित सहायक गतिविधियों में कार्यरत लगभग पांच लाख श्रमिकों को लाभ होगा।
सूत्रों ने कहा कि गन्ने से 10.25 प्रतिशत से अधिक की वसूली में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की वृद्धि के लिए 3.05 रुपये प्रति क्विंटल का प्रीमियम प्रदान किए जाने की संभावना है, जबकि वसूली में प्रत्येक 0.1 प्रतिशत की कमी के लिए एफआरपी में 3.05 रुपये प्रति क्विंटल की कमी की जाएगी।
उन्होंने कहा, हालांकि, चीनी मिलों के मामले में, जहां वसूली दर 9.5 प्रतिशत से कम की है, वहां कोई कटौती नहीं होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे किसानों को वर्ष 2022-23 में गन्ने के लिए 282.125 रुपये प्रति क्विंटल मिलने की संभावना है, जबकि मौजूदा चीनी सत्र 2021-22 में यह राशि 275.50 रुपये प्रति क्विंटल की है।
चीनी उत्पादन का अनुमान: विपणन वर्ष 2022-23 में गन्ने की उत्पादन लागत 162 रुपये प्रति क्विंटल है। हाल में, भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने कहा था कि भारत का चीनी उत्पादन अक्टूबर से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2022-23 में, एथनॉल निर्माण के लिए गन्ने का इस्तेमाल करने के कारण घटकर 355 लाख टन रह सकता है। इस्मा के अनुसार, वर्ष 2022-23 में चीनी का उत्पादन 355 लाख टन होने का अनुमान है, जबकि सितंबर को समाप्त होने वाले मौजूदा विपणन वर्ष में यह उत्पादन 360 लाख टन था। एथनॉल के लिए गन्ने के इस्तेमाल की मात्रा को अलग करने से पहले वर्ष 2022-23 में शुद्ध चीनी उत्पादन अधिक यानी 399.97 लाख टन होने का अनुमान है, जो मौजूदा विपणन वर्ष 2021-22 में 394 लाख टन था।
इस्मा का अनुमान है कि एथनॉल निर्माण के लिए गन्ने के शीरे और बी-शीरा का उपयोग किये जाने से अगले विपणन वर्ष में चीनी उत्पादन में लगभग 45 लाख टन की कमी आएगी। वर्तमान विपणन वर्ष 2021-22 में लगभग 34 लाख टन का इस्तेमाल एथनॉल के लिए होने का अनुमान लगाया गया है। वर्ष 2022-23 में चीनी की वार्षिक घरेलू मांग लगभग 275 लाख टन होने का अनुमान लगाया गया है, जिसके कारण निर्यात के लिए लगभग 80 लाख टन अधिशेष चीनी बच जायेगा। मई में, केंद्र ने चीनी की घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता को बनाए रखने के लिए चालू विपणन वर्ष 2021-22 में चीनी निर्यात को एक करोड़ टन पर सीमित कर दिया था।