नई दिल्ली/कोटा। 17वीं लोकसभा के तीन वर्ष पूरे हो गए हैं। इन तीन वर्षों में लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला के नेतृत्व में सदन एक नई राह पर आगे बढ़ा है। जनता की आशाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के साथ देश को नवनिर्माण की ओर गतिमान करने की दिशा में स्पीकर बिरला के मार्गदर्शन में लोकसभा ने कई नए आयाम तय किए हैं। सदन की उत्पादता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। कानून के निर्माण और जनहित से जुड़े विषयों पर न सिर्फ चर्चा का समय बढ़ा है बल्कि संवाद का स्तर पर भी ऊंचा उठा है।
बीते 18 वर्षों में सबसे ज्यादा काम
लोकसभा की बैठकों और कार्यवाही के आंकड़े बताते हैं कि बीते 18 वर्षों में सबसे ज्यादा काम 17वीं लोकसभा के पहले तीन वर्षों में हुआ। 2004 से 2009 के बीच 14वीं लोकसभा की उत्पादकता 86 प्रतिशत जबकि 2009 से 2014 के बीच 15वीं लोकसभा की उत्पादकता 71 प्रतिशत रही। 2014 में एनडीए की सरकार बनने के बाद 2019 तक लोकसभा में 95 प्रतिशत कार्य हुआ। परन्तु 2019 में ओम बिरला के लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद बीते तीन वर्षों में ही उत्पादकता ने 106 प्रतिशत का स्तर छुआ। इसे एक बड़ी और उल्लेखनीय इसलिए माना जाएगा कि गत तीन वर्षों में दो वर्ष कोविड से प्रभावित रहे। स्पीकर बिरला ने ऐसी परिस्थितियों में स्वास्थ्य सुरक्षा प्रोटोकाॅल्स की कड़ाई से पालना सुनिश्चित की, जिसकी वजह से कोविड के पीक के दौरान आयोजित 17वीं लोकसभा के चैथे सत्र में 167 प्रतिशत कार्य हुआ जो लोकसभा के 70 वर्षों के इतिहास में सर्वाधिक है। इतना ही नहीं इस सत्र में सांसदों की उपस्थिति सामान्य परिस्थितियों में आयोजित सत्रों से अधिक रही।
अब देर रात तक चलती है सदन की कार्यवाही
आम तौर पर लोकसभा की बैठकों के दौरान दिखाई देने वाले हंगामे और विवाद से उलट 17वीं लोकसभा के पहले तीन वर्षों तक सदन चर्चा और संवाद दिखाई दिया। 14वीं से 17वीं लोकसभा के पहले आठ सत्रों के दौरान आयोजित बैठकों के आंकड़े भी इसकी पुष्टि करते हैं। 14वीं लोकसभा के पहले आठ सत्रों में सदन में 929 घंटें, 15वीं लोकसभा में 798 घंटे, 16वीं लोकसभा में 929 घंटे जबकि 17वीं लोकसभा में 995 घंटे तक विषयों पर चर्चा हुई। इन आठ सत्रों के दौरान सदन ने निर्धारित अवधि से 254.46 घंटे अधिक कार्य किया। 17वीं लोकसभा के दौरान ऐसे कई अवसर आए जब सदन की कार्यवाही देर रात 12 बजे बाद तक चली। इसमें सुखद यह रहा कि सांसदों भी ने देर रात कार्यवाही के संचालन में सक्रिय सहभागिता दिखाई। लोकसभा के इतिहास में ऐसा बेहद कम अवसरों पर देखने को मिला है।
अधिक बिल पारित, हर बिल पर ज्यादा चर्चा
देश और जनता के हित में कानून के निर्माण की दिशा में भी 17वीं लोकसभा में अधिक सक्रियता और सहभागिता दिखाई दी। 14वीं लोकसभा में 107 बिल प्रस्तुत जबकि 120 बिल पारित किए गए थे। 15वीं लोकसभा में 114 बिल प्रस्तुत और 95 बिल पारित, 16वीं लोकसभा में 96 बिल प्रस्तुत और 94 बिल पारित किए गए। वहीं 17वीं लोकसभा के दौरान 139 बिल प्रस्तुत और 149 बिल पारित हुए। 15वीं और 16वीं लोकसभा की तुलना में डेढ़ गुना अधिक बिल तो परित हुए ही हर बिल पर चर्चा का समय भी बढ़ा। 14वीं और 15वीं लोकसभा के दौरान जहां प्रत्येक बिल पर औसतन 87 और 85 मिनट ही चर्चा हुई वहीं 16वीं लोकसभा में प्रत्येक बिल पर औसतन 123 तथा 17वीं लोकसभा में 132 मिनट चर्चा की गई। विधेयकों पर चर्चा करने वाले सदस्यों की संख्या भी 14वीं, 15वीं और 16वीं लोकसभा से लगभग दुगुनी रही।
स्पीकर बिरला के प्रयासों से बढ़ी जवाबदेही
स्पीकर बिरला के प्रयासों ने सदन के प्रति सरकार की जवाबदेही में अभिवृद्धि हुई है। प्रश्नकाल के दौरान सरकार की ओर से दिए जाने वाले मौखिक जवाब 14वीं लोकसभा की तुलना में करीब ढाई गुना, 15वीं लोकसभा से दो गुना जबकि 16वीं लोकसभा से डेढ़ गुना अधिक बढ़े हैं। नियम 377 के सदस्यों की ओर से उठाए गए विषयों पर निर्धारित 30 दिन की अवधि में लगभग 95 प्रतिशत मामलों में जवाब प्राप्त हो रहे हैं जबकि पूर्व कि लोकसभाओं के दौरान यह संख्या 50 से 60 प्रतिशत ही थी।
संसद के नए भवन में होगा शीतकालीन सत्र
संसद के नए भवन का कार्य तय समय के अनुसार चल रहा है। यदि सब कुछ योजना के अनुसार चला तो निर्माण कार्य अक्टूबर तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद ट्रायल के बाद इस वर्ष का शीतकालीन सत्र संसद के नए भवन में हो सकता है। उन्होंने कहा कि यह नया भवन एक ग्रीन बिल्डिंग होगा जिसमें पर्यावरण और ऊर्जा संरक्षण के सभी इंतजाम किए गए हैं। लोकसभा चैंबर में 888 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था होगी परन्तु दोनों सदनों के संयुक्त सत्र के दौरान वहां 1272 सदस्य बैठ सकेंगे। राज्य सभा चैंबर में 384 सदस्यों की बैठने की व्यवस्था होगी।
सांसदों के लिए टेक्नोफ्रेंडली होगा नया भवन
नए भवन को सांसदों के लिए टेक्नोफ्रेंडली बनाया जा रहा है। प्रत्येक सदस्य की सीट के समक्ष मल्टीमीडिया स्क्रीन होगा, जिसके माध्यम से वे सदन में मतदान, उपस्थिति दर्ज करवाना तथा सदन में अभिव्यक्ति का अवसर देने का अनुराध आदि कार्य कर सकेंगे। इसमें उपलब्ध टच स्क्रीन के माध्यम से वे एमपी पोर्टल तक पहुंच सकेंगे। इसके अलावा वे अपने निजी फोल्डर में पूर्व में अपलोड किए गए दस्तावेजों को भी एक्सेस कर सकेंगे।