जयपुर। राजस्थान में मुख्यमंत्री नि:शुल्क निरोगी योजना का लाभ उठाने के लिए अब आधार कार्ड की जगह राज्य सरकार द्वारा जारी जन आधार कार्ड जरूरी हो गया है। अब जन आधार कार्ड का इस्तेमाल मरीज का पता लगाने और रोग की व्यापकता का रिकॉर्ड रखने में किया जाएगा। यह सुविधा आधार कार्ड के जरिए मुमकिन नहीं है।
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारी जन आधार का इस्तेमाल यह पता लगाने में भी करेंगे कि किसी मरीज को इलाज के बदले कितने पैसे दिये जा चुके हैं। अगर मुख्य मंत्री नि:शुल्क निरोगी राजस्थान योजना के तहत किसी मरीज के इलाज का सालाना खर्च 10 लाख रुपये से अधिक होता है तो इसके वहन के लिए एक प्रोपोजल राज्य सरकार को भेजा जाएगा।
1 मई से इस योजना की शुरुआत राज्य में की गई है। लिहाजा अब अगर कोई मरीज नि:शुल्क ओपीडी और आईपीडी समेत अन्य सुविधाएं इस योजना के अंतर्गत आने वाले सरकारी अस्पतालों में हासिल करना चाहता है तो उसे अपने पास आधार कार्ड नहीं बल्कि जन आधार कार्ड रखना होगा। इससे पहले राज्य के अस्पताल मरीजों के रजिस्ट्रेशन के लिए आधार कार्ड की मांग करते थे।
राज्य के स्वास्थ्य सचिव डॉक्टर पृथ्वी राज ने बताया है कि जन आधार कार्ड के जरिए राज्य सरकार रोगों का रिकॉर्ड रखेगी। इसके अलावा मुफ्त स्वास्थ्य योजना का लाभ ले रहे सभी मरीजों के इलाज और उनके डायग्नोस्टिक टेस्ट का भी रिकॉर्ड रखा जाएगा। जन आधार के जरिए उन मरीजों के बारे में भी पता चल सकेगा जो चिरंजीवी हेल्थ इंश्योरेंस स्कीम, मुफ्त दवा योजना, मुफ्ता जांच योजना समेत अन्य विभिन्न योजनाओं का लाभ ले रहे हैं।
एक खास बात यह भी है कि जिन लोगों के पास जन आधार कार्ड नहीं है उनके लिए भी स्वास्थ्य विभाग ने अलग से इंतजाम किया है। अगर ऐसे मरीज खुद अस्पताल में जन आधार कार्ड के लिए रजिस्टर कराते हैं तो उन्हें मेडिकल सुपरीटेन्डेंट और मुख्य चिकित्सा अधिकारी इलाज में छूट प्रदान कर सकते हैं।