कंबोडिया के मंदिर भारत की भी साझा सांस्कृतिक विरासतः बिरला

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नोम पेन्ह/नई दिल्ली। कंबोडिया के मंदिर भारत और कंबोडिया की साझा सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं। यह मंदिर दोनों देशों को आध्यात्मिक तौर पर भी जोड़ते हैं। मंदिरों के संरक्षण में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग अहम भूमिका निभा रहा है। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने यह बात शनिवार को कंबोडिया के सियामरीप प्रांत में स्थित विभिन्न मंदिरों के दर्शनों के बाद कही।

भारतीय संसदीय दल के साथ सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व के ता प्रोहम मंदिर और अंगकोर वाट मंदिर पहुंचने के बाद स्पीकर बिरला ने वहां भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से किए जा रहे जीर्णोद्धार कार्यों की जानकारी प्राप्त की। ता प्रोहम मंदिर में पहले दो चरणों के जीर्णोद्धार का काम पूरा कर लिया है और तीसरे चरण के वर्ष 2025 तक पूरा होने की संभावना है।

बिरला ने ता प्रोहम में जीर्णोद्धार कार्य में शामिल एएसआई के अधिकारियों को समर्पण और सटीकता की भावना के साथ काम करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि साझा संस्कृति के प्रतीक इन मंदिरों के जीर्णोद्धार के काम में एएसआई की भागीदारी सभी भारतीयों के लिए गर्व की बात है। ऐसे में इस काम के लिए उस पर जो भरोसा जताया गया है उसका पूरा सम्मान करने की जरूरत है।

अंगकोर वाट मंदिर को बिरला ने दुनिया के महान सांस्कृतिक आश्चर्यों में से एक बताया। मंदिर की वास्तुकला की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि यह भारत और कंबोडिया की साझा सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अंगकोर वाट के जीर्णोद्धार का कार्य किया है। लोकसभा अध्यक्ष और संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने मंदिर में विश्व में शांति तथा सभी के कल्याण और समृद्धि के लिए प्रार्थना की।

इससे पूर्व सीयामरीप पहुंचने पर प्रांत के गवर्नर टी सिहेया तथा स्थानीय सांसदों की ओर से स्पीकर बिरला और भारतीय संसदीय दल के सदस्यों का परम्परा और संस्कृति के अनुरूप स्वागत किया गया।