खाद्य तेलों- तिलहनों की जमाखोरी रोकने के लिए राजस्थान समेत तीन राज्यों में छापेमारी

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नयी दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को कहा कि महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में तिलहनों और खाद्य तेलों की जमाखोरी पर लगाम लगाने के लिए छापेमारी जारी है और पांच अन्य राज्यों में भी विशेष टीमें इसकी जांच कर रही हैं।

आधिकारिक बयान के मुताबिक, तिलहन के प्रमुख उत्पादक एवं खपत वाले राज्यों में थोक एवं खुदरा विक्रेताओं, शॉपिंग श्रृंखला विक्रेताओं और मिलों की तरफ से की जा रही जमाखोरी रोकने के लिए खाद्य तेलों एवं तिलहनों के भंडारगृहों पर औचक छापेमारी की जा रही है। इसके लिए महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, गुजरात और नयी दिल्ली के लिए विशेष टीमें भेजी गई हैं।

खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मध्य प्रदेश के देवास, शाजापुर और गुना जिलों में छापेमारी के दौरान सोयाबीन एवं सरसों दाने की जमाखोरी का पता चला है। इन कारोबारियों ने सरकार की तरफ से स्वीकृत सीमा से अधिक मात्रा में सोयाबीन एवं सरसों को स्टॉक जमा कर रखा था।

सोयाबीन के दानों की जमाखोरी से सोयाबीन तेल की कीमतें पिछले कुछ समय में तेजी से बढ़ी हैं। ऐसी स्थिति में राज्य सरकार को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत जरूरी कदम उठाने को कहा गया है। वहीं महाराष्ट्र और राजस्थान में भी खाद्य तेलों का तय सीमा से अधिक स्टॉक रखने के मामले सामने आए हैं।

मंत्रालय ने कहा कि खाद्य तेलों की जमाखोरी में थोक कारोबारी और शॉपिंग श्रृंखलाएं ज्यादा संलिप्त पाई गई हैं। इस स्थिति में केंद्र ने राज्य सरकारों को आवश्यक वस्तु अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत जरूरी कदम उठाने के लिए कहा है।

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान से भी यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया गया है कि आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत कार्रवाई करने से आपूर्ति शृंखला पर कोई असर न पड़े। बाकी पांच राज्यों में अभी पड़ताल जारी है।

केंद्र ने पिछले कुछ महीनों में खाद्य तेलों की कीमतों पर काबू पाने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब यह जरूरी कर दिया गया है कि खाद्य तेलों एवं तिलहनों के सभी थोक कारोबारी अपने पास मौजूद स्टॉक की जानकारी दें। सरकार ने सभी खाद्य तेलों एवं तिलहनों के भंडारण पर लगी सीमा दिसंबर, 2022 तक बढ़ा दी है।

खाद्य मंत्रालय के मुताबिक, दुनियाभर में खाद्य तेलों के दाम बढ़ रहे हैं। पिछले एक महीने में घरेलू बाजार में भी खाद्य तेलों के दाम बढ़े हैं जिसके पीछे भू-राजनीतिक परिदृश्य की भी एक भूमिका रही है।