नई दिल्ली। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने वित्त वर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड 1.4 लाख करोड़ रुपये के भारतीय शेयरों की बिकवाली की। उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न आर्थिक हालात और वैश्विक उथल-पुथल के जोखिम पर चिंता के कारण ये कदम उठाया।
घरेलू इक्विटी बाजार से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों द्वारा यह अब तक का सबसे बड़ी बिकवाली थी। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, उन्होंने 2018-19 में 88 करोड़ रुपये, 2015-16 में 14,171 करोड़ रुपये और 2008-09 में 47,706 करोड़ रुपये निकाले।
विशेषज्ञों का मानना है कि कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और महंगाई के संदर्भ में प्रतिकूल परिस्थितियों को देखते हुए निकट भविष्य में एफपीआई से प्रवाह अस्थिर रहने की उम्मीद है। अप्रैल 2021 से मार्च 2022 तक, FPI भारतीय इक्विटी में 1.4 लाख करोड़ रुपये के शुद्ध विक्रेता थे।
उन्होंने हाल ही में समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में 12 में से नौ महीने में निकासी की है। वे अक्टूबर 2021 से घरेलू इक्विटी बेच रहे हैं। मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर- मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष में कई कारकों के कारण एफपीआई का आउटफ्लो हुआ, जिसमें अप्रैल-मई 2021 के दौरान कोरोना वायरस के मामलों में तेज उछाल शामिल है, जो दूसरी लहर की चरम अवधि है।