नई दिल्ली। रिजर्व बैंक मंगलवार और बुधवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा करेगा। इकोनॉमी में सुस्ती को देखते हुए सरकार और इंडस्ट्री को उम्मीद है कि इस वित्त वर्ष की चौथी समीक्षा में सेंट्रल बैंक ब्याज दर में कटौती करेगा। लेकिन बैंकिंग जगत का मानना है कि महंगाई में बढ़ोतरी को देखते हुए आरबीआई अभी संभवत: रेट कट करे।
अप्रैल-जून तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 5.7% रही थी, जो तीन साल में सबसे कम है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा कि खुदरा महंगाई दर 4% की तय सीमा के भीतर चल रही है। इसलिए रिजर्व बैंक के पास अगले पॉलिसी रिव्यू में रेपो रेट घटाने की गुंजाइश है।
इस बीच इंडस्ट्री ने भी रिजर्व बैंक से ब्याज दर घटाने का आग्रह किया है। उद्योग चैंबर एसोचैम ने सेंट्रल बैंक की मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी को पत्र लिखा है, जिसमें रेपो रेट 0.25% कम करने का अनुरोध है। इसने कहा है कि इकोनॉमी की चुनौतियों और ग्रोथ में तत्काल तेजी लाने के लिए यह जरूरी है।
लेकिन एसबीआई ने रिसर्च रिपोर्ट में कहा है कि रिजर्व बैंक के सामने कम ग्रोथ रेट, बढ़ती महंगाई और ग्लोबल अनिश्चितता का दुष्चक्र है। इसलिए ब्याज दर के मामले में यथास्थिति रहने की उम्मीद है। मॉर्गन स्टैनली की रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि महंगाई लगातार बढ़ रही है। आगे भी बढ़ने के आसार हैं।
अगर अभी ब्याज दर में कटौती हुई तो आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ने पर रेट कट की गुंजाइश कम रह जाएगी। फल-सब्जियां महंगी होने के कारण अगस्त में खुदरा महंगाई 3.36% दर्ज हुई, जो पांच महीने में सबसे ज्यादा है। थोक महंगाई दर जुलाई में 2.36% रही है।
रेटिंग एजेंसी इक्रा ने भी कहा है कि रेपो रेट घटने की उम्मीद नहीं है। इसके अनुसार मार्च 2018 तक महंगाई दर 4.5 से 5 फीसदी तक जा सकती है। हालांकि एचडीएफसी बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री अभीक बरुआ ने कहा, ‘महंगाई भले बढ़ रही हो, लेकिन अभी ग्रोथ रेट बढ़ाना प्राथमिकता होनी चाहिए।
पिछले साल इसी समय महंगाई घटने लगी थी। यानी अभी महंगाई बढ़ने की एक वजह बेस इफेक्ट भी है। यह सवाल जरूर है कि 0.25% रेट कट से ग्रोथ को कितनी मदद मिलेगी, लेकिन मेरा मानना है कि इससे सेंटिमेंट बदलेगा। कंज्यूमर और इंडस्ट्री दोनों के लिए।
ग्रोथ के लिए सेंटिमेंट में सुधार ज्यादा जरूरी है। अमेरिका में 2008 के आर्थिक संकट के बाद ब्याज दर शून्य के आसपास कर दी गई। इससे आम लोगों और इंडस्ट्री दोनों को फायदा हुआ।’