नई दिल्ली। घरेलू बाजार में चीनी की बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए सरकार इसके निर्यात पर रोक लगा सकती है। इसके साथ ही चीनी निर्यात के लिए 80 लाख टन की सीमा भी तय की जा सकती है।
सरकार इस संबंध में जल्द घोषणा कर सकती है। पिछले 6 वर्षों में यह पहली बार होगा, जब निर्यात पर नियंत्रण लगाया जाएगा। इस खबर से शुक्रवार को चीनी कंपनियों के शेयर्स में भारी गिरावट देखने को मिली।
इस समय चीनी का उत्पादन सर्वोच्च स्तर पर है। लगातार निर्यात के चलते चीनी का भंडार कम हो रहा है। इससे कीमतों में तेजी आ रही है। ऐसा माना जा रहा है कि अगर यही हालात रहे तो त्योहारी मौसम में देश में चीनी की कीमतें और ज्यादा बढ़ सकती हैं।
देश की चीनी मिलों ने अभी तक 70 लाख टन निर्यात के लिए करार किया गया है। ऐेसे में इसे 80 लाख टन तक सीमित करने से मई वाले मौसम में अपने आप निर्यात पर रोक लग जाएगी, जिससे आम लोगों को राहत मिलेगी।
शुल्क लगाने की तैयारी
सरकार इस पेराई सीजन में चीनी निर्यात पर शुल्क भी लगा सकती है। अगर इससे बात बन जाती है तो यह अच्छा कदम हो सकता है। हालांकि, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने इस खबर पर कोई टिप्पणी नहीं की। भारत चीनी के मामले में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है। ऐसे में सरकार के निर्यात पर रोक और शुल्क लगाने के इस फैसले पर दुनियाभर में चीनी की कीमतों में और तेजी देखने को मिल सकती है।
उत्तर प्रदेश में उत्पादन घटकर 78.33 लाख टन
देश में पहले से ही खाद्य महंगाई ज्यादा है। खाने के तेल भी 200 रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा दाम पर बिक रहे हैं। अक्तूबर, 2021 और फरवरी, 2022 के बाद चीनी निर्यात 2.5 गुना बढ़कर 47 लाख टन पर पहुंच गया था। चीनी उत्पादकों के संगठन इस्मा के मुताबिक, अक्तूबर, 2021 से 15 मार्च, 2022 के बीच चीनी उत्पादन 9 फीसदी बढ़कर 283.26 लाख टन रहा था। मार्च, 2021 तक यह आंकड़ा 259.37 लाख टन था। हालांकि, उत्तर प्रदेश में उत्पादन 84.25 लाख टन से घटकर 78.33 लाख टन रह गया है।
शुक्रवार को प्रमुख चीनी कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली। बलरामपुर चीनी मिल्स का शेयर 2.25 फीसदी, धामपुर का 3.66, द्ववारिकेश का 4.13, डालमिया भारत का 2.62, अवध का 3.71 और मवाना चीनी का शेयर 5.29 फीसदी गिरकर बंद हुआ। हाल के समय में इन शेयरों ने निवेशकों को 50 फीसदी तक का मुनाफा दिया है।