नई दिल्ली। लोकसभा में शून्यकाल के दौरान स्पीकर ओम बिरला ने एक अनूठी पहल करते हुए नई मिसाल कायम की। पहली बार शून्यकाल में हिस्सेदारी करने वालों की आधी आबादी की हिस्सेदारी करीब 50 फीसदी रही। इस दौरान 62 सदस्यों ने बात रखी, जिनमें 29 महिलाएं थी। स्पीकर ने भविष्य में भी महिलाओं को मुद्दे उठाने और पूरक प्रश्न पूछने के मामले में अधिक अवसर देने की घोषणा की।
शून्यकाल शुरू होते ही स्पीकर ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह आज ‘लेडीज फर्स्ट’ की नीति अपनाएंगे। उन्होंने कहा कि वह शून्यकाल में अधिक से अधिक सदस्यों को बोलने का अवसर देते हैं। यह सिलसिला जारी रहेगा, मगर अब इसमें महिला सांसदों को प्राथमिकता मिलेगी।
स्पीकर ने महिला सांसद का बनवाया नोट: स्पीकर ने ओडिशा के अस्का संसदीय सीट की सांसद पमिला बिश्नोई को न सिर्फ बोलने के लिए प्रेरित किया, बल्कि एक बार उन्हें नोट भी तैयार करा कर दिया। बहुत कम पढ़ी-लिखी बिश्नोई सिर्फ उड़िया भाषा जानने के कारण बोलने में संकोच करती थीं।
स्पीकर ने कहा कि प्रेरित करने के बाद बिश्नोई अब शून्यकाल में लगातार जनहित से जुड़े विषय उठा रही हैं। स्पीकर ने इस दौरान यह भी बताया कि प्रमिला स्वयं सहायता समूह के जरिए हजारों महिलाओं को रोजगार भी देती हैं।
शून्यकाल में बढ़ रही भागीदारी
शीतकालीन सत्र में शून्यकाल में सदस्यों की भागीदारी लगातार बढ़ रही है। बीते छह दिनों में शून्यकाल में 402 सांसदों ने हिस्सा लिया। बीते दो दिनों में ही सौ से अधिक संसद सदस्यों ने शून्यकाल के दौरान अपनी बातें रखीं।