राजकोट। गुजरात में रबी फसलों की बुवाई ने अब गति पकड़ ली है। एक सप्ताह में बुवाई में बेतहाशा वृद्धि हुई है। 22 नवंबर तक गुजरात में 15.14 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है। जो पिछले साल 17.29 लाख हेक्टेयर था। पिछले एक हफ्ते में गेहूं और चने की खेती में भारी इजाफा हुआ है। मसाला फसलों में जीरा और धनिया की खेती में गिरावट आई है।
सरकारी किताबों के मुताबिक 2.03 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुआई हो चुकी है। यह पिछले साल के 3.16 लाख हेक्टेयर से काफी पीछे है लेकिन एक हफ्ते में इसमें भारी वृद्धि देखी गई है। गुजरात में कुल 17% बोवनी हुई हैं। पिछले साल 35,581 हेक्टेयर के मुकाबले 27,347 हेक्टेयर में मक्के की बुवाई की गई है।
3.57 लाख हेक्टेयर में चना बोया गया है। जो पिछले साल के मुकाबले ज्यादा है। पिछले साल यह 3.57 लाख हेक्टेयर था। इस साल किसानों की पसंद चने की अच्छी कीमतों की ओर रही है। रायडा में भी अधिक कीमतों का असर बुवाई पर देखने को मिला है। रायडा में 1.75 लाख हेक्टेयर के मुकाबले यह आंकड़ा बढ़कर 2.35 लाख हेक्टेयर हो गया है।
मसाला फसलों में जीरे की खेती बुरी तरह प्रभावित हुई है। अब तक 63,144 हेक्टेयर में बुवाई की जा चुकी है। जो पिछले साल 1.68 लाख हेक्टेयर था। पिछले साल कीमतें कम होने के बावजूद किसान दिवाली के बाद भी बुवाई के लिए तैयार नहीं हैं। इस साल जीरे पर मिट्टी की अधिक नमी का भी असर हो रहा है, इसका एक कारण चना और राई जैसी फसलें भी हैं। जीरा कारोबारियों का कहना है कि किसान अब 3 लाख हेक्टेयर से ज्यादा बुवाई करेंगे या नहीं, यह भी रहस्य बना हुआ है। जीरा खेती के तहत औसत क्षेत्र 4.34 लाख हेक्टेयर है।
धनिया के रकबे में भी इस साल काफी कमी आई है। पिछले वर्ष के इस अवधि के 60,693 हेक्टेयर के मुकाबले 35,486 हेक्टेयर में इसकी बुवाई की गई है। सामान्य खेती लगभग 86 हजार हेक्टेयर है।
लहसुन की बुवाई 7763 हेक्टेयर के मुकाबले 10276 हेक्टेयर में की गई है. लहसुन की अच्छी कीमत के चलते किसानों ने अपनी खेती बढ़ा दी है। सुआ को 2605 हेक्टेयर और इसबागुल को 645 हेक्टेयर में लगाया गया है। प्याज और आलू का रकबा बढ़कर क्रमश: 30,262 और 60,646 हेक्टेयर हो गया है।