कोटा। इस बार धान यानी चावल की इतनी पैदावार हुई कि भामाशाह अनाज मंडी का सवा सौ (125 एकड़) एकड़ का परिसर छोटा पड़ गया। दो लाख बोरी की क्षमता वाले इस परिसर में डेढ़ लाख बोरी धान हर रोज आ रहा है। पहले वाला उठता नहीं, उसके पहले ही नया डेढ़ -दो लाख बोरी और आ जाता है। मंडी अंदर और बाहर से जाम होने के कारण आने-जाने के रास्ते बंद हो गए। मजबूरन तीन दिन मंडी बंद करनी पड़ी।
कृषि जिंसों के उठाव के तीन दिन बाद मंडी के खुलते ही मंडी परिसर धान से फिर अट गया। रविवार दोपहर से शाम तक करीब 1.5 लाख बोरी धान की मंडी में ढेरियां लग चुकी थी। मंडी के बाहर पिछले 5-6 दिन से जाम में फंसे वाहन चालकों व किसानों ने राहत की सांस ली।
कोटा ग्रेन एण्ड सीड्स मर्चेंट एसोसिएशन अध्यक्ष अनिवाश राठी ने बताया कि शनिवार को मौसम साफ होने से माल के उठाव में तेजी आई और रविवार दोपहर तक 90 प्रतिशत से ज्यादा मंडी परिसर खाली कर दिया। दोपहर एक बजे मंडी के बाहर कतार में लगे कृषि जिंसों से भरे वाहनों के मंडी में प्रवेश दिया गया। शाम तक करीब 500 से ज्यादा ट्रक व ट्रैक्टर ट्रॉलियों मंडी में प्रवेश कर चुकी थी।
इसके बावजूद मंडी के बाहर करीब 300 से ज्यादा वाहन कतार में खड़े थे, जिन्हें देर रात तक मंडी में प्रवेश दे दिया गया। मंडी में करीब 2 लाख बोरी धान की आवक हुई है। अन्य कृषि जिंस अलग से है। मंडी सचिव एम.एल. जाटव ने बताया कि बम्पर आवक के चलते दोपहर 3 से रात्रि 11 बजे तक किसानों को मंडी में प्रवेश नहीं दिया जाएगा, यह व्यवस्था यथावत जारी रहेगी।
गौरतलब है कि मंडी में बम्पर आवक के चलते मंडी कृषि जिंसों से ठसाठस हो जाने से माल के उठाव के लिए गुरुवार से 2 दिन के लिए मंडी को बंद किया था। लेकिन शुक्रवार को बेमौसम बारिश के चलते माल उठाव का कार्य नहीं हो पाया और मंडी को रविवार तक बंद रखने का निर्णय करना पड़ा। मंडी चार दिन तक लगातार बंद रहने के कारण मंडी के बाहर करीब डेढ़ दो किलोमीटर लम्बी कृषि जिंसों से भरे 800 से ज्यादा वाहनों की कतार लग गई थी।