आर्यन खान ड्रग्स केस: NCB ज़ोनल डायरेक्टर वानखेड़े के खिलाफ जांच के आदेश

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नई दिल्ली। आर्यन खान ड्रग्स केस में नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इस मामले में डीडीजी एनसीबी, ज्ञानेश्वर सिंह ने समीर वानखेड़े को पद से हटाने के सवाल पर कहा,’स्वतंत्र गवाह के हलफनामे के माध्यम से सोशल मीडिया पर कुछ तथ्य प्रसारित किए। इसे संज्ञान में लेते हुए डीजी एनसीबी ने विजिलेंस को जांच के आदेश दिए हैं। सबूत के आधार पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी’।

आज स्पेश एनडीपीएस कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने जज के सामने कहा कि उनपर लगाए गए सारे आरोप झूठे हैं और वह जांच के लिए तैयार हैं। हालांकि इस केस में समीर वानखेड़े के खिलाफ जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

साथ ही एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार में मंत्री नवाब मलिक के आरोपों के जवाब में समीर वानखेड़े ने कहा, ‘मैं बहुधार्मिक और सेकुलर परिवार से ताल्लुक रखता हूं। मेरे पिता एक हिंदू हैं और मेरी मां एक मुस्लिम थीं। ट्विटर पर मेरे पर्शनल डॉक्यूमेंट्स को शेयर करना मानहानि और मेरी पारिवारिक गोपनीयता का हनन है। महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के निंदनीय हमलों से आहत हूं’।

दरअसल, आर्यन खान ड्रग्स मामले की जांच कर रहे डायरेक्टर समीर वानखेड़े ने हाल ही में मुंबई के पुलिस कमिश्नर को भी चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने चिट्ठी में कहा है कि मुझे झूठे केस में फंसाने की रचि जा रही साजिश। समीर वानखेड़े ने चिट्ठी में दावा किया कि कुछ अज्ञात लोग मेरे खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।

बता दें कि आर्यन खान ड्रग्स मामले में बड़ा ट्विस्ट तब आया जब इस केस के प्राइम विटनेस के पी गोसावी के बॉडीगार्ड ने बड़ा खुलासा किया। बॉडीगार्ड प्रभाकर सईल ने अपने हलफनामे में बताया कि एनसीबी के दफ्तर में पंचनामा पेपर बताकर खाली कागज में जबरन हस्ताक्षर कराए गए थे।

हालांकि एनसीबी ने एक वक्तव्य जारी कर इन सारे आरोपों का खंडन किया। एनसीबी ने अपने वक्तव्य में कहा है, ‘प्रभाकर सेल गवाह द्वारा एक एफिडेविट जारी किया गया है जो कि 94/2021 में गवाह हैl यह मामला सोशल मीडिया के माध्यम से हमारे पास आया है। एफिडेविट में कहा गया है कि मिस्टर प्रभाकर ने 2 अक्टूबर 1921 से जुड़ी मूवमेंट और एक्टिविटी की जानकारियां दी है। जिस दिन यह क्राइम रजिस्टर्ड हुआ है। यह मामला जज के सामने हैं और मामला न्यायालय के अधीन है। उन्हें यह बात कोर्ट में जज के सामने कहने चाहिए बजाय सोशल मीडिया पर।’