नई दिल्ली। अब पांच करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाले जीएसटी करदाता अपने वार्षिक रिटर्न का स्व-प्रमाणन कर सकेंगे। अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) के नए निर्देश के अनुसार उन्हें अपने रिटर्न को चार्टर्ड अकाउंटेंट से अनिवार्य आडिट सत्यापन कराने की जरूरत नहीं होगी। जीएसटी कानून के तहत वित्त वर्ष 2020-21 के लिए दो करोड़ रुपये तक के सालाना कारोबार वालों को छोड़कर अन्य सभी इकाइयों के लिए वार्षिक रिर्टन-जीएसटीआर-9/9ए दाखिल करना अनिवार्य है।
इसके अलावा पांच करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाले करदाताओं को फार्म जीएसटीआर-9सी के रूप में रिकंसीलिएशन स्टेटमेंट यानी समाधान विवरण जमा कराने की जरूरत होती थी। इस विवरण को चार्टर्ड अकाउंटेंट द्वारा सत्यापित किया जाता है। सीबीआइसी ने एक अधिसूचना के जरिये जीएसटी नियमों में संशोधन किया है।
अथारिटी फार एडवांस्ड रूलिंग (एएआर) ने कहा है कि ट्रीटेड व प्योरिफाइड सीवेज जल को जीएसटी अधिनियम के तहत ‘जल’ की कैटेगरी में रखा गया है। इसका मतलब यह है कि इसके औद्योगिक उपयोग की सूरत में कंपनी को 18 फीसद जीएसटी देना होगा। नागपुर वेस्ट वाटर मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड ने एएआर की महाराष्ट्र पीठ में याचिका दायर कर पूछा था कि क्या महाराष्ट्र राज्य बिजली उत्पादन कंपनी लिमिटेड (महाजेनको) को आपूर्ति किया गया ट्रीटेड वाटर जीएसटी कानून के तहत टैक्स के दायरे में आता है।