कोटा। राजस्थान के छोटे से शहर कोटा से शुरू होकर देशभर ख्याति बटोर रही मेडकॉर्ड्स भविष्य में कामयाबी के नए आयाम स्थापित कर सकती है। बिजनस वर्ल्ड में जॉमेटो और पॉलिसी बाजार की तरह ऊंचाइयां हासिल कर सकती है। भारत का भरोसा बनकर उबर रही कंपनी मेडकॉर्ड्स के लिए यह बात किसी ओर ने नहीं वरन उद्योग एवं टेक्नोलॉजी जगत में बड़े नाम और सफल आंत्रप्रन्योर इनफो एज के फाउंडर पद्मश्री संजीव बिखचंदानी ने कही है।
संजीव नौकरी.कॉम, शिक्षा. कॉम, जीवन साथी.कॉम एवं 99 एकर्स के फाउंडर है। हाल ही में संजीव बिखचंदानी ने एक इंटरव्यू में मेडकॉर्ड्स को भविष्य में सफलता की संभावनाएं रखने वाले टॉप 10 स्टार्टअप में शामिल किया है। संजीव ने इसमें मेड्कॉर्ड्स के साथ पॉलिसी बाजार, बिजनिस, शॉपकिराना, ग्रामाफोन, उस्त्रा, शिप्सी, डॉटपे, ट्रू मेड्स और उदय को इस श्रेणी में रखा है।
संजीव बिखचंदानी देश के सबसे सफल बिजनेसमैन और निवेशकों में से एक हैं। इनफो एज के फाउंडर हैं जिसमें नौकरी डॉट काम जैसी कई स्टार्ट अप्स शामिल हैं। बिजनेस सेक्टर में उल्लेखनीय योगदान के लिए भारत सरकार ने साल 2020 में संजीव बिखचंदानी को पद्मश्री सम्मान से नवाजा है। फॉर्ब्स इंडिया ने 2020 में संजीव को 68वीं रैंक दी। संजीव ने ही सबसे पहले जोमैटो और पॉलिसी बाजार जैसे स्टार्ट अप्स में बड़ा निवेश किया और आज वो इतने नामचीन है।
क्यों बताया मेडकॉर्ड्स को सफल?
संजीव बिखचंदानी के मेडकॉर्ड्स पर विश्वास जाहिर करने के पीछे सबसे बड़ा मजबूत कारण टीम की ग्राउंड पर पकड़ है। राजस्थान के छोटे से शहर कोटा में तीन युवाओं श्रेयांश मेहता, निखिल बाहेती और सैदा धनावत ने मेडकॉर्ड्स की शुरुआत की गई और आज आयु एप के जरिए 25 हजार से ज्यादा मेडिकल स्टोर का ऐसा विशाल नेटवर्क तैयार किया है, जिसके बूते एप की टीम महज 2 घंटे से भी कम समय में दवाओं की होम डिलिवरी कर रही है। देशभर के 15 राज्यों के 35 लाख परिवार इस एप से जुड़कर इसे भरोसेमंद साबित कर रहे हैं। 5000 से स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स के माध्यम से मात्र 15 मिनट के अंतराल में लोगों को घर बैठे परामर्श दिया जा रहा है।
कोविड में जीता देश का भरोसा
कोविड-19 संक्रमण के दौरान मेडकॉर्ड्स के आयु एप से देश का भरोसा जीता। इस दौरान जब जगह-जगह लॉकडाउन रहा और लोगों के आने जाने पर पाबंदी रही। दवा की दुकानों पर भीड़ से संक्रमण फैलने की स्थितियां बनी तो आयु एप के माध्यम से लोगों को घर बैठे परामर्श दिए गए और दवाओं की डिलीवरी भी की गई। लोगों को मदद मिलती गई और विश्वास बढ़ता चला गया। यही कारण है कि आयु एप की ख्याति इतनी हुई कि विदेश तक में मदद मांगी गई और आयु एप के माध्यम से मदद दी भी गई।
कोई हो न हो, मैडकॉर्ड्स साथ हो
मेडकॉर्ड्स के को-फाउंडर श्रेयांश मेहता ने बताया कि उनका लक्ष्य देश के हर व्यक्ति, परिवार को डिजिटल हेल्थ केयर उपलब्ध करवाना है। घर बैठे लोगों को इलाज व दवा पहुंचाना चाहते हैं ताकि अकेले व परेशान मरीज को आने के लिए तकलीफ नहीं उठानी पड़े। हम चाहते हैं कि लोगों की सेहत उनके हाथ में हो, कोई हो न हो, मेडकॉर्ड्स हर व्यक्ति के साथ हो। कभी भी-कहीं भी मेडकॉर्ड्स से मदद ली जा सके।

