52 सप्ताह में 52 जोड़ों का पुनर्विवाह, 104 विधवा-विधुर के जीवन में लौटी खुशियां

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कोटा। कोविड अभिशापित एकल जीवित विधवा-विधुर सामाजिक सेवा प्रकल्प के माध्यम से एक वर्ष में 52 जोड़ों का पुनर्विवाह सम्पन्न हुआ है। यानी कि 104 विधवा-विधुर के जीवन में खुशियां लौट आई हैं। संयोग से आज प्रकल्प का स्थापना दिवस भी है।

बच्चों के पुनर्विवाह के लक्ष्य को लेकर कोटा के वरिष्ठ समाजसेवी होम्योपैथिक डॉक्टर लोकमणि गुप्ता (बंसल) अर्चना गुप्ता एवं सौरभ गुप्ता ने एक वर्ष पूर्व 3 जुलाई 2021 को ही कोविड अभिशापित एकल जीवित विधवा-विधुर सामाजिक सेवा प्रकल्प प्रारंभ किया गया था ।

डॉ. लोकमणि गुप्ता ने बताया कि साल के 52 सप्ताह पुरे होने के साथ ही 52 वें विधवा-विधुर का पुनर्विवाह हुआ है। मुरैना की बेटी एवं बहू वर्षा बंसल एवं कोटा के मनीष जैन का पुनर्विवाह पारिवारिक सदस्यों की उपस्थिति में सम्पन्न हुआ है । सर्वाधिक खुशी की बात यह है कि दोनों ने ही एक दूसरे के बच्चों को सहर्ष स्वीकार किया है।

उन्होंने बताया कि सभी जोड़ों ने एक दूसरे के बच्चों को सहर्ष अपनाया है, जिससे 170 से अधिक अनाथ बच्चों को माता-पिता का प्यार और संरक्षण मिलने लगा है। 416 परिवारों को पुनः समुचित सहारा मिलना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

उन्होंने बताया कि इस जागृति अभियान को अखिल भारतीय स्तर पर एक क्रांतिकारी कदम मानते हुए सर्व समाज द्वारा सम्मान से देखते हुए स्वीकार किया जा रहा है। विगत वर्षों में कोविड महामारी ने वैश्विक स्तर पर अपना ताण्डव दिखाया। कोरोना से बचाव एवं उपचार के संपूर्ण संसाधन अपनाने के बावजूद हजारों गृहस्थियां छिन्न -भिन्न हो गई। लाखों बच्चे अनाथ एवं बुजुर्ग असहाय हो गए। ऐसे में अनेक युवा एवं मध्यम आयु वर्ग के विवाहित युवक- युवतियां विधुर एवं विधवा हो गए। इनके बच्चे अनाथ हो गए और परिवार में दादा दादी नाना नानी भी असहाय रह गए।

सौरभ गुप्ता ने बताया कि तीनों ही परिस्थितियों के स्थाई समाधान के लिए डॉ. लोकमणि गुप्ता ने कोविड अभिशापित ग्रुप बनाकर ऐसे विधवा- विधुर बच्चों के पुनर्विवाह के लिए गम्भीरता पूर्वक प्रयास किए। समय-समय पर झूम मीटिंग आयोजित कर पारिवारिक जागृति पैदा की गई। समय समय पर परिजनों से बातचीत कर कॉउंसलिंग की गई।

गुप्ता ने बताया कि कोविड अभिशापित ग्रुप को उद्देश्य परक सफलता मिलने पर विभिन्न राज्यों के समाजसेवी बन्धुओं एवं पदाधिकारियों ने राष्ट्रीय सूत्रधार डॉ. लोकमणि गुप्ता एवं सहयोगियों को अग्रवाल समाज में इस असंभव से दिखने वाले प्रकल्प को हकीकत में बदल देने के लिए बधाइयां प्रेषित की हैं।

राष्ट्रीय सूत्रधार डॉ. गुप्ता ने अपने सक्रिय समर्पित सेवा भावी साथियों वासुदेव अग्रवाल, जगदीश प्रसाद मित्तल, संतोष गुप्ता, विद्यासागर अग्रवाल एवं मदनमोहन गर्ग का आभार व्यक्त किया है, जिनके सक्रिय सहयोग से ही यह संकल्प पूरा हो रहा है।