कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में आर्यिका विभाश्री माताजी ने अपने प्रवचन में कहा दीपावली आत्मज्योति के जागरण का पर्व है। इसे फुलझड़ी, पटाखे या रॉकेट जलाकर नहीं, बल्कि गौ दीपक जलाकर मनाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि 50 ग्राम गौघृत से बना दीपक लगभग 40 टन ऑक्सीजन उत्पन्न करता है, जबकि कैमिकल मिले दीपक पर्यावरण को दूषित करते हैं। माताजी ने कहा कि आतिशबाज़ी से पशु-पक्षियों को पीड़ा होती है। इसलिए दीपावली के दिन जुआ, नशा एवं पटाखों से दूर रहकर भगवान महावीर, गौतम स्वामी एवं गणधर वलय के 48 ऋद्धि मंत्रों की आराधना करनी चाहिए।
साथ ही पूज्य आर्यिका श्री विमाश्री माताजी ने तत्त्वार्थ सूत्र कक्षा में कहा कि अणुव्रत के सहायक रूप में सात शील व्रत, पाँच अणुव्रत, तीन गुणव्रत और चार शिक्षाव्रत होते हैं। पाँच अणुव्रतों में हिंसा, झूठ, चोरी, कुशील और परिग्रह का एकदेश त्याग सम्मिलित है। गुणव्रत वे हैं जो अणुव्रतों के गुणों में वृद्धि करें तथा शिक्षाव्रत वे हैं जिनसे मुनिव्रतों के पालन की शिक्षा मिलती है।

