16 राज्यों के 80 कृषि वैज्ञानिकों ने जैविक कृषि अनुसंधान केंद्र का किया अवलोकन

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कोटा। भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम् द्वारा आयोजित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली के प्राकृतिक खेती पर अखिल भारतीय नेटवर्क कार्यक्रम की पहली वार्षिक समूह बैठक के तीसरे दिन श्रीरामशान्ताय जैविक कृषि अनुसंधान प्रशिक्षण केन्द्र कोटा के प्रांगण पर कृषक संवाद एवं अवलोकन कार्यक्रम आयोजित हुआ।

इस कार्यक्रम में 16 राज्यों में नेटवर्क कार्यक्रम को क्रियान्वित करने वाले 20 केंद्रों के 80 वैज्ञानिक एवं भा.कृ.अ.प. नई दिल्ली के अन्य सदस्यों ने कार्यक्रम में भाग लिया। कार्यक्रम के बारे में संस्थान के मुख्य प्रबंधक पवन टाक ने बताया कि देश भर से पधारे समस्त वैज्ञानिको का जाखोड़ा केन्द्र पहुंचने पर किसानों द्वारा माल्यार्पण व दुपट्टा पहनाकर पारंपरिक तरीके से उनका स्वागत किया गया।

इस दौरान उनके साथ डॉ अभय कुमार व्यास, माननीय कुलपति, कृषि विश्वविद्यालय कोटा,डॉ एन. रविशंकर, प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर AICRP-ANPOF, IIFSR मोदीपुरम, श्रीमान निर्मल जी गोयल प्रबंध निदेशक,गोयल प्रोटींस लिमिटेड, कोटा एवं संस्थान के अध्यक्ष श्री ताराचंद जी गोयल भी उपस्थित रहे।

स्वागत उद्बोधन में निर्मल गोयल ने संस्थान की कार्ययोजना के बारे अवगत करवाया। सभी ने यहां पर संचालित अनुसंधान, प्रसार एवं प्रशिक्षण गतिविधियों का अवलोकन किया। तत्पश्चात संस्थान के तकनीकी सहयोग से जैविक एवं प्राकृतिक खेती करने वाले प्रगतिशील किसानों से संवाद भी किया।

कृषक संवाद के दौरान किसानों ने बताया कि इस संस्थान द्वारा खाद बनाने हेतु सरल कम्पोस्ट विधि, गो मूत्र चुने का फार्मूला एवं सरल संजीवनी के रूप मे उपयोगित ताजे गोबर के प्रयोग से विकसित हुई पद्धति से देश में बिना किसी कृषि रसायन के ही उत्पादन प्रथम वर्ष में भी उच्च मात्रा में प्राप्त हो रहा है। जिससे किसानों की न केवल लागत कम हुई बल्कि मूल्य भी अच्छा प्राप्त होगा।

किसानों से वार्ता के पश्चात सभी कृषि वैज्ञानिक बंधुओ ने भी अपने विचार रखे।इस दौरान डॉ अधिकांत प्रदान,(प्रदान वैज्ञानिक छत्तीसगढ़ ) ने कहा कि इस मॉडल फार्म की डिजायन पर्यावरण मित्र पद्धति से तैयार हुई, जो प्रेरणीय है। इसी प्रकार डॉ शिव लाल (कृषि वैज्ञानिक बीजीय मसाला संस्थान तबीजी) ने कहा कि इस कार्य में बीज मसाला फसल को भी जोड़ा जा सकता है।

कार्यक्रम में संस्थान के अध्यक्ष ताराचंद गोयल ने संस्थान की स्थापना, उद्देश्य एवं आगामी कार्ययोजनाओं से सभी को अवगत करवाया। उन्होंने कहा यह प्रकल्प देशभर में गो-आधारित जैविक खेती के प्रसार हेतु प्रतिबद्ध है और इस दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है। इस अभियान में सभी का मन से सहयोग करेंगे तो एक दिन पूरा देश शुद्ध आहार प्राप्त करेगा।

कार्यक्रम के कृषि विश्वविद्यालय कोटा के कुलपति डॉ अभय कुमार व्यास ने कहा कि जैविक एवं प्राकृतिक खेती का कार्य सम्पूर्ण सृष्टि के लिए हितकारी है। इस कार्य के लिए कृषि विश्वविद्यालय कोटा एवं गोयल ग्रामीण विकास संस्थान के साझे प्रयास हो रहे है। आज इस राष्ट्रीय स्तर के कार्यक्रम में जो योजनाए बनी है, वो राष्ट्रीय प्राकृतिक मिशन के लिए रीढ़ खम्भ है।

राजस्थान डॉ एन. रविशंकर, प्रोजेक्ट कोर्डिनेटर AICRP-ANPOF, IIFSR, मोदीपुरम ने बताया कि इस मीटिंग का सूत्रधार गोयल ग्रामीण विकास संस्थान कोटा है, इस संस्थान के द्वारा विकसित सरल प्रयोगो को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् नई दिल्ली के प्राकृतिक खेती पर अखिल भारतीय नेटवर्क कार्यक्रम में जोड़ लिया गया, जिसके तहत सरल कम्पोस्ट तकनीक को 20 राज्य मे परीक्षण हेतु जोड़ लिया गया। यह संस्थान भारत के लिए रॉल मॉडल है।