10 लाख की रिश्वत लेते पुलिस कांस्टेबल गिरफ्तार, थानाप्रभारी फरार

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जयपुर में होटल रेडिसन ब्लू में 10 लाख रुपए की रिश्वत लेते पकड़ा गया नरेशचंद मीणा (दांए), फरार थानाधिकारी राजेश सियाद (बांए)।

जयपुर। श्रीगंगानगर के जवाहर नगर थाने में तैनात एक पुलिस कांस्टेबल को जयपुर की एक होटल में 10 लाख रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। रिश्वत की यह रकम एनडीपीएस एक्ट के एक मुकदमे में यूपी के एक दवा कारोबारी के भतीजे को आरोपी नहीं बनाने की एवज में मांगी गई थी। इससे पहले कांस्टेबल शिकायतकर्ता पीड़ित से 16 लाख रुपए की रिश्वत ले चुका था। रिश्वत के इस खेल में जवाहर नगर थानाप्रभारी राजेश कुमार सियाग भी शामिल था। वह झुंझुनूं का रहने वाला है। एंटी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई की भनक लगने पर वह फरार हो गया।

यह कार्रवाई एसीबी जोधपुर टीम के प्रभारी एडिशनल एसपी नरेंद्र सिंह चौधरी व पुलिस इंस्पेक्टर मनीष वैष्णव की अगुवाई में टीम ने की। एसीबी के डीजी बीएल सोनी ने बताया कि मंगलवार को जयपुर में टोंक रोड पर स्थित होटल रेडिसन ब्लू में रिश्वत लेते गिरफ्तार हुआ कांस्टेबल नरेशचंद मीणा है। वह करौली जिले के नादौती तहसील में गांव मिलक सराय का रहने वाला है। फिलहाल श्रीगंगानगर जिले के जवाहर नगर थाने में तैनात है।

आईजी दिनेश एमएन ने बताया कि उत्तरप्रदेश में कानपुर जिले के गोविंद नगर में रहने वाले पेशे से व्यापारी हरदीप सिंह ने 26 अक्टूबर को एसीबी जोधपुर चौकी में शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसमें बताया कि उसकी और उसके भतीजे पवन कुमार अरोड़ा की कानपुर में बिरहना रोड पर श्री गुरु तेगबहादुर फार्मा के नाम से दुकान है। श्रीगंगानगर जिले के सदर थाने में दर्ज एनडीपीएस एक्ट के तहत एक मुकदमे की जांच जवाहर नगर थानाप्रभारी राजेश कुमार सियाग के पास थी। इसमें नशीली गोलियां पकड़ी गई थी।

परिवादी हरदीप सिंह का कहना था कि नशीली गोलियों के कारोबार में उनकी फर्म की कोई भूमिका सामने नहीं आने के बावजूद थानाप्रभारी राजेश सियाग ने उनके भतीजे पवन कुमार अरोड़ा को नोटिस दे दिया। गत 18 सितंबर को आरोपी कांस्टेबल नरेशचंद मीणा व एएसआई सोहनलाल कानपुर में उनकी दुकान पर पहुंचे। वे दोनों पवन कुमार को दवाइयों के संबंध में पूछताछ के लिए होटल गगन प्लाजा में ले गए। वहां पवन कुमार अरोड़ा को मुकदमे में गिरफ्तारी का डर दिखाया। उसे श्रीगंगानगर ले जाने की बात कहते हुए 15 लाख रुपए वसूल कर लिए।

जब्त की गई रिश्वत की राशि।

कांस्टेबल नरेशचंद ने बताया कि ढाई ढाई लाख रुपए वह और एएसआई सोहनलाल आपस में बांटेंगे। इसके अलावा 10 लाख रुपए मुकदमे में अनुसंधान अधिकारी जवाहर नगर थानाप्रभारी राजेश कुमार सियाग को देने को कहा। इसके बाद वे दोनों 15 लाख रुपए लेकर गंगानगर लौट आए।

परिवादी हरदीप सिंह ने बताया कि 25 सितंबर को दोबारा कांस्टेबल नरेशचंद मीणा यूपी में पवन अरोड़ा के घर पहुंच गया। उसे बताया कि थानाप्रभारी राजेश सियाग उनके दवाओं की जानकारी से संतुष्ट नहीं है। वे 25 लाख रुपए रिश्वत की मांग कर रहे है। यदि रुपयों का इंतजाम हो जाएगा तो वे उसे छोड़ देंगे। फिर वह एक लाख रुपए लेकर आ गया।

एयर फ्लाइट बुक करवाकर कानपुर से दिल्ली रिश्वत लेने गया कांस्टेबल
आईजी दिनेश एमएन ने बताया कि 22 अक्टूबर को कांस्टेबल नरेशचंद मीणा वापस यूपी पहुंच गया। वहां व्हाट्सएप कॉल से पवन अरोड़ा से बातचीत की। उससे 25 लाख रुपयों की मांग की। तब पवन ने खुद के दिल्ली होने की बात कही। ऐसे में कांस्टेबल ने पवन को धमकाकर उसका दिल्ली का फ्लाइट टिकट बुक करवाने का दबाव डाला।

तब पवन ने कांस्टेबल नरेशचंद के लिए अपने रिश्तेदार के मार्फत ऑनलाइन टिकट बुक करवाया। तब नरेशचंद रिश्वत की रकम लेने फ्लाइट से दिल्ली पहुंच गया। तब पवन अरोड़ा ने बताया कि वह कोरोना संक्रमित है। अभी रिश्वत की रकम नहीं दे सकेगा। तब कांस्टेबल ने पवन अरोड़ा से 10 लाख रुपए में सौदा तय किया।

एसीबी जोधपुर के प्रभारी एएसपी नरेंद्र कुमार चौधरी ने बताया कि कांस्टेबल नरेशचंद मीणा ने पवन के चाचा हरदीप सिंह से बातचीत कर 26 अक्टूबर को रिश्वत की रकम लेकर जयपुर बुलाया। कल हरदीप सिंह जयपुर एयरपोर्ट पर पहुंचे। उन्होंने एसीबी में शिकायत दर्ज करवा दी। इससे अनजान कांस्टेबल नरेशचंद खुद एक पिकअप लेकर रिश्वत लेकर आए हरदीप सिंह को लेने जयपुर एयरपोर्ट पहुंच गया।

इसके बाद वे दोनों पहले से निर्धारित टोंक रोड पर होटल रेडिसन ब्लू पहुंचे। वहां कांस्टेबल नरेशचंद को हरदीप सिंह ने 10 लाख रुपयों की रिश्वत सौंपी। तभी इशारा मिलते ही एसीबी टीम ने कांस्टेबल नरेशचंद को धरदबोचा। उसकी व्हाट्सएप चैट्स व अन्य तथ्यों के आधार पर एसीबी ने पुलिस इंस्पेक्टर राजेश सियाग को भी आरोपी माना है। लेकिन वह फरार हो गया।