मोक्ष सप्तमी महोत्सव 31 जुलाई को मनाया जाएगा, 23 किलो का निर्वाण लाडू अर्पण होगा
कोटा। पावन चातुर्मास के अवसर पर गणिनी आर्यिकाविभाश्री माताजी की पावन सान्निध्यता में मोक्ष सप्तमी महोत्सव का आयोजन 31 जुलाई गुरुवार को कोटा के विज्ञान नगर स्थित श्री दिगम्बर जैन मंदिर परिसर में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाएगा।
अध्यक्ष राजमल पाटौदी ने बताया कि महोत्सव की शुरुआत प्रातः 6:00 बजे से अभिषेक, शांतिधारा एवं सहस्त्रनाम अभिषेक के साथ होगी। इसके पश्चात प्रातः 8:00 बजे सम्मेद शिखर विधान एवं पर्वत की प्रतीकात्मक रचना के अंतर्गत 23 किलो का निर्वाण लाडू अर्पण किया जाएगा। यह अर्पण 25 भक्त मंडलों द्वारा किया जाएगा, जो श्रद्धा और भक्ति की एक अनुपम छटा बिखेरेगा।
महामंत्री अनिल ठोरा ने बताया कि इस दिव्य अवसर पर पादप्रक्षालन, शास्त्रभेंट, तथा 108 दीपकों से आरती एवं गुरुभक्ति जैसे विशेष आध्यात्मिक आयोजन भी संपन्न होंगे। कार्यक्रम में प्रसिद्ध भजन गायक सौरभ शास्त्री सुमधुर गुरुभक्ति गीतों की प्रस्तुति देंगे।
जीवन में स्पष्ट दृष्टिकोण और अहंकार से मुक्ति आवश्यक
गणिनी आर्यिका विभाश्री माताजी ने शनिवार को प्रवचन में कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में “आर्ट ऑफ लिविंग” अर्थात जीने की एक स्पष्ट योजना और दिशा निर्धारित करनी चाहिए। जैसे कोई विद्यार्थी एमबीए करके व्यवसाय में करियर बनाता है, वैसे ही जीवन में भी स्पष्ट लक्ष्य और आत्ममंथन आवश्यक हैं।
माताजी ने कहा कि आज के युवा मोटिवेशनल वीडियोज़ और सेमिनार्स से प्रेरणा लेते हैं, लेकिन जब अपेक्षित परिणाम नहीं मिलते, तो वे डिप्रेशन व मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं। ऐसे में संतुलन और धैर्य बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।
‘वैभव नहीं, उसका अहंकार बंधन का कारण’ विषय पर उन्होंने कहा कि वैभव स्वयं अपराध नहीं है, किंतु उसका अहंकार व्यक्ति को बंधन में डाल देता है। भगवान महावीर के जीवन को उदाहरण बनाते हुए उन्होंने बताया कि त्याग, अहंकार रहित जीवन और वैभव से विरक्ति ही आत्मशांति का मार्ग है।

