हमारे बच्चों को यदि संस्कार देने हैं तो संस्कृत का ज्ञान भी जरूरी: डॉ. कपिल

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कोटा। संस्कृत भारती कोटा महानगर द्वारा आयोजित किए जा रहे संस्कृत संभाषण शिविर का समापन राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय केशवपुरा सेक्टर 6 में किया गया। स्थानीय विद्यालय के संस्कृत के व्याख्याता दुष्यंत कुमार शर्मा ने बताया 10 दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर में बच्चों ने संस्कृत भारती के विशिष्ट पाठ्यक्रम के द्वारा सरलतम रूप में संस्कृत में बात करना सीखा।

संस्कृत भारती के विस्तारक दिनेश शर्मा द्वारा शिविर में भिन्न-भिन्न गतिविधियों के माध्यम से संस्कृत गीत, कारक, विभक्ति आदि का शिक्षण करवाया। छोटे-छोटे संवादों से अभिनय के द्वारा नाटक का अभ्यास करवाया गया। प्रतिदिन काम में आने वाले वाक्यों के द्वारा संस्कृत बोलने का अभ्यास किया। चरित्र का निर्माण करने वाले संस्कृत साहित्य के छोटे-छोटे श्लोक और संस्कृत के गीतों का भी अभ्यास करवाया हुआ।

कार्यक्रम में संस्कृत भारती की महानगर अध्यक्ष डॉ. संस्कृति ने सभी से संस्कृत से जुड़ने का आह्वान किया। विभाग संयोजक देवेंद्र गौतम ने संस्कृत भारती का परिचय देते हुए बताया कि संस्कृत का कार्य संपूर्ण भारत देश में और विदेश में भी चल रहा है। संस्कृत भारती कई प्रकल्पों के माध्यम से जन सामान्य को संस्कृत में संभाषण सिखाती है। संस्कृत सभी को जोड़ने का कार्य करती है।

वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय से आए संस्कृत के सहायक आचार्य डॉ. कपिल गौतम ने बताया कि संस्कृत भाषा संस्कृति की रक्षा के लिए बहुत आवश्यक है। यदि संस्कार देने हैं तो संस्कृत का ज्ञान होना ही चाहिए। तभी चरित्रवान समाज से राष्ट्र का निर्माण हो सकता है।

सूचना एवम् जनसंपर्क विभाग के सेवानिवृत्त संयुक्त निदेशक डॉ. पीके सिंघल ने संपूर्ण साहित्य में संस्कृत भाषा के योगदान के विषय में जानकारी दी। उन्होंने कथा कहानियों के माध्यम से शिक्षण को सरलतम बनाने की जानकारी दी। विद्यार्थियों को कहानियों की पुस्तकें भेंट की।

राजकीय महाविद्यालय पिड़ावा के सेवानिवृत्त पूर्व प्राचार्य डॉ. केबी भारतीय ने संस्कृत भाषा की सरलता और सूक्ष्मता का विस्तार से विवेचन किया। विद्यालय की प्राचार्य डॉ. वैदेही गौतम ने आभार जताया।