इंदौर। भारत से 2025-26 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में सोया डीओसी का निर्यात घटने की संभावना है क्योंकि स्वदेशी उद्योग को दो मोर्चे पर चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
एक तो सोयाबीन के घरेलू उत्पादन में गिरावट आने से स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं और दूसरे, यूरोपीय यूनियन डि फॉरस्टेशन रेग्युलेशन लागू होने वाला है जिससे भारत के सबसे बड़े विदेशी बाजार में सोयामील का निर्यात प्रभावित हो सकता है।
हालांकि 2024-25 के मार्केटिगं सीजन में भारत से 20.23 लाख टन सोयामील का निर्यात हुआ जिसे उत्साहवर्धक प्रदर्शन माना जा रहा है लेकिन निर्यातकों का कहना है कि 2025-26 के मौजूदा मार्केटिंग सीजन में यह तेजी से घट सकता है क्योंकि स्वदेशी सोयामील का निर्यात ऑफर मूल्य अपेक्षाकृत ऊंचा है जिससे वैश्विक बाजार में इसकी प्रतिस्पर्धी क्षमता घट जाएगी।
एक अग्रणी उद्योग संस्था- सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के कार्यकारी निदेशक का कहना है कि कीमतों में अंतर और उत्पादन में गिरावट से सोयामील के निर्यात का प्रतिकूल असर पड़ सकता है। ये दोनों कारक चिंता के प्रमुख कारण बने हुए हैं।
पिछले सीजन की तुलना में इस बार सोयामील का निर्यात घटने की प्रबल आशंका है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय सोयामील अमरीका, अर्जेन्टीना एवं ब्राजील के उत्पाद से महंगा है।
इधर बांग्ला देश में अमरीका से विशाल मात्रा में सोयाबीन का आयात होने की संभावना है जिससे वहां सोयामील के आयात की आवश्यकता घट जाएगी। बांग्ला देश भारतीय सोयामील का एक महत्वपूर्ण बाजार है। सोपा के अनुसार अन्य प्रतिद्वंदी निर्यातक देशों की तुलना में भारतीय सोयामील का निर्यात ऑफर मूल्य करीब 50-60 डॉलर प्रति टन ऊंचा चल रहा है।
सोपा के फिल्ड सर्वेक्षण में सोयाबीन का घरेलू उत्पादन 2024-25 सीजन के 125.87 लाख टन से 16.3 प्रतिशत घटकर 2025-26 के सीजन में 105.36 लाख टन पर अटक जाने का अनुमान लगाया गया है।
जबकि उद्योग-व्यापार विश्लेषकों के उत्पादन अनुमान का आंकड़ा इससे भी काफी छोटा है। समीक्षाधीन अवधि के दौरान मध्य प्रदेश में सोयाबीन का उत्पादन करीब 20 प्रतिशत घटकर 44.56 लाख टन रह जाने की संभावना है। राजस्थान और महाराष्ट्र में भी उत्पादन कम होगा।

