सुवि चिकित्सालय में नई तकनीक से सत्यपाल को चश्मे के तिरछे नंबर से छुटकारा

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सुवि नेत्र चिकित्सालय में एग्जाइमर लेजर सरफेस एब्लेशन सर्जरी से आँख का इलाज करते चिकित्सक

कोटा। बारां जिले के ग्राम लक्ष्मीपुरा, धाकड़ों का मोहल्ला निवासी 40 वर्षीय श्री सत्यपाल राठी की दाहिनी आँख में बबूल के काँटे से चोट लगने के कारण मोतियाबिंद हो गया था। उन्होंने कोटा से बाहर जाकर मोतियाबिंद ऑपरेशन और लेंस प्रत्यारोपण कराया, लेकिन चोट के कारण उनकी पारदर्शी पुतली (कॉर्निया) पर निशान (कॉर्नियल स्कार) बन गया। इसके परिणामस्वरूप उन्हें माइनस 1 नंबर स्फेरिकल और माइनस 4 नंबर सिलिंड्रिकल (तिरछा) चश्मा पहनना पड़ता था। इस कारण उनकी दूर की दृष्टि धुंधली हो गई थी और गाड़ी चलाने में कठिनाई हो रही थी।

अपनी नेत्र समस्या के समाधान के लिए सत्यपाल राठी सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेजर सेंटर, कोटा पहुंचे। वहाँ वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पांडेय ने उनकी आँखों की विस्तृत जाँच की। इसके बाद 20 फरवरी को सुवि नेत्र चिकित्सालय में डॉ. सुरेश पांडेय, डॉ. निपुण बागरेचा एवं डॉ. अर्नव सरोया की टीम ने एग्जाइमर लेजर सरफेस एब्लेशन सर्जरी के माध्यम से उनकी आँख का सफल ऑपरेशन किया।

इस आधुनिक तकनीक की सहायता से सत्यपाल राठी की आँखों का तिरछा नंबर पूरी तरह समाप्त हो गया और उनकी दूर की दृष्टि पूर्ण रूप से सामान्य हो गई। अब वे बिना किसी परेशानी के गाड़ी चला सकते हैं।