नई दिल्ली। हेडलाइन इनफ्लेशन सितंबर 2025 में और घट सकती है और खुदार महंगाई 1.2 प्रतिशत के करीब रहने का अनुमान है। बैंक ऑफ बड़ौदा की ताजा रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार यह राहत खाद्य पदार्थों की लगातार गिरती कीमतों के कारण है।
इसमें कहा गया है कि आवश्यक वस्तुओं में लगातार मंदी और टमाटर, प्याज और आलू (TOP) की कीमतों में तेज सुधार महंगाई को नियंत्रित करने में मदद कर रहा है। बैंक ऑफ बड़ौदा एसेन्शियल कमोडिटीज इंडेक्स (BOB ECI) लगातार पांचवें महीने मंदी में रहा।
सितंबर में यह साल-दर-साल एक प्रतिशत घटा, जबकि अक्तूबर के पहले छह दिनों में 3.8 प्रतिशत की तेज गिरावट दर्ज की गई। महीने-दर-महीने सूचकांक में भी 0.3 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। यह प्रमुख खाद्य समूहों में कीमतों के दबाव में कमी को दर्शाता है।
टमाटर की खुदरा कीमतें सितंबर में 8.3 प्रतिशत घटीं, जबकि प्याज और आलू में क्रमशः 46.2 प्रतिशत और 30.9 प्रतिशत की गिरावट आई। यह गिरावट बढ़ी हुई आपूर्ति और प्रभावी प्रबंधन के चलते संभव हुई। वित्त वर्ष 2026 में TOP सब्जियों की कुल आपूर्ति 10.3 प्रतिशत बढ़ी, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में 15.4 प्रतिशत घट गई थी।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि वैश्विक खाद्य कीमतों में नरमी और ऑटोमोबाइल, FMCG कंपनियों और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म द्वारा जीएसटी दरों में कटौती का फायदा उपभोक्ताओं तक पहुंचाने से महंगाई पर दबाव कम हुआ है। बैंक ऑफ बड़ौदा ने अनुमान जताया है कि 5 में हेडलाइन सीपीआई भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से कम रह सकता है।
हालांकि, कुछ धातुएं, खनिज और ऊर्जा की कीमतों में मजबूती देखी जा रही है, लेकिन इनका उपभोक्ता मूल्य पर प्रभाव सीमित है। सोने को छोड़कर, कोर महंगाई 3.1 प्रतिशत से 3.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान है।
रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि खाद्य कीमतें फिलहाल नरम हैं, लेकिन फसल के मौसम के दौरान सब्जियों की आपूर्ति बढ़ने से खाद्य महंगाई पर और दबाव पड़ सकता है। इसमें कहा गया है कि आने वाले महीनों में इन फसलों की कटाई होगी, इसलिए आपूर्ति बढ़ने की उम्मीद है।

