साल भर में दाल-दलहन के आयात पर 5 अरब डॉलर से अधिक की विदेशी मुद्रा खर्च

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नई दिल्ली। विभिन्न दलहनों का विशाल मात्रा में आयात होने से वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान इस पर खर्च होने वाली राशि पहली बार 5 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गई है।

चालू वित्त वर्ष के दौरान तुवर एवं चना का आयात नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा जबकि पीली मटर, उड़द एवं मसूर का भी भारी आयात किया गया। भारत दुनिया में दलहनों का सबसे प्रमुख उत्पादक एवं खपतकर्ता होने के साथ-साथ सबसे बड़ा आयातक देश भी बना हुआ है।

केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के त्वरित अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष के शुरूआती 11 महीनों में यानी अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के दौरान दलहनों के आयात पर होने वाला खर्च उछलकर 5.03 अरब डॉलर के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया जो 2023-24 वित्त वर्ष के इन्हीं महींनों के कुल आयात खर्च 3.17 अरब डॉलर से 58.75 प्रतिशत ज्यादा है।

उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2023-24 की सम्पूर्ण अवधि (अप्रैल-मार्च) के दौरान देश में कुल मिलाकर 3.74 अरब डॉलर मूल्य के दलहनों का आयात किया गया था। इससे पूर्व दलहनों के आयात पर सर्वाधिक खर्च 2016-17 के वित्त वर्ष में 4.24 अरब डॉलर दर्ज किया गया था।

भारतीय मुद्रा के संदर्भ में आयात खर्च का आंकलन करने से पता चलता है कि अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के 11 महीनों में दलहनों के आयात पर रिकॉर्ड 42,629 करोड़ रुपए का खर्च बैठा जो वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि के खर्च 26,318 करोड़ रुपए से 62 प्रतिशत अधिक रहा। पिछले वित्त वर्ष की पूरी अवधि में दलहनों का कुल आयात खर्च 31,071 करोड़ रुपए दर्ज किया गया था।

हालांकि दलहनों की आयात मात्रा का आधिकारिक आंकड़ा अभी तक सामने नहीं आया है मगर सुप्रसिद्ध एवं विश्वसनीय मार्केट रिसर्च फर्म- आई ग्रेन इंडिया का अनुमान है कि अप्रैल 2024 से फरवरी 2025 के दौरान देश में कुल 62.52 लाख टन दलहनों का आयात हुआ।

इसमें 11.46 लाख टन देसी चना तथा 11.64 लाख टन अरहर (तुवर) का रिकॉर्ड आयात भी शामिल है। इसके अलावा इस अवधि में 20.59 लाख टन पीली मटर तथा 11.46 लाख टन मसूर के साथ-साथ 7.39 लाख टन उड़द का भी आयात किया गया जबकि शेष मात्रा अन्य दलहनों (मूंग को छोड़कर) की रही।

आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान ने दलहनों के रिकॉर्ड आयात खर्च का प्रमुख कारण तुवर का सर्वाधिक आयात होना माना है क्योंकि यह अपेक्षाकृत महंगा दलहन है। इसके अलावा देसी चना और पीली मटर के विशाल आयात ने भी खर्च को बढ़ा दिया। दलहनों के आयात की मात्रा भी नए रिकॉर्ड पर पहुंचेगी।