कोटा जिला सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार पर हुआ सहकारिता आंदोलन पर चिंतन
कोटा। कोटा जिला सहकारी उपभोक्ता होलसेल भण्डार द्वारा 14 से 20 नवंबर 2025 तक आयोजित 72वें अखिल भारतीय सहकार सप्ताह के तहत सहकारिता आंदोलन की प्रासंगिकता, वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए नवोन्मषी सहकारी व्यवसाय मॉडल, उसके मूल सिद्धांतों एवं ग्रामीण विकास में सहकारी संस्थाओं की भूमिका पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया।
मुख्य अतिथि रेडक्रॉस सोसायटी के स्टेट प्रेसीडेंट राजेशकृष्ण बिरला ने सहकार आंदोलन के मूल सिद्धांत,आत्म सहायता, आत्मनिर्भरता, लोकतंत्र, समानता, समता और एकजुटता को ग्रामीण विकास की आधारशिला बताया। उन्होंने कहा कि यही सिद्धांत किसानों और ग्रामीण परिवारों को संगठित कर आर्थिक सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त करते हैं।
उन्होंने कहा कि यह पहल विकसित भारत 2047 के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा, स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में स्थायी विकास की मजबूत नींव रखी जा सकेगी।
अध्यक्ष हरिकृष्ण बिरला ने सहकारी समितियों की निष्ठा, ईमानदारी और सामाजिक उत्तरदायित्व आधारित कार्यप्रणाली को उनकी सबसे बड़ी शक्ति बताया। उन्होंने उपभोक्ता होलसेल भण्डार में पारदर्शिता और सहकारिता के सतत विस्तार की बात करते हुए कहा कि को-ऑपरेटिव व्हीकल इज अमृत फॉर भारत, यह नारा केवल विचार नहीं, बल्कि इसे जमीनी स्तर पर व्यापक रूप से लागू करने की आवश्यकता है।
महाप्रबंधक बीना बैरवा ने कहा कि आधुनिक तकनीक, डिजिटल पारदर्शिता और कुशल प्रबंधन से ही सहकारी संस्थायें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत आधार प्रदान कर सकती हैं। उन्होंने सहकार सिद्धांतों को अधिक से अधिक ग्रामीण परिवारों तक पहुँचाने तथा उन्हें आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
अतिरिक्त रजिस्ट्रार बलविन्दर सिंह गिल और उप रजिस्ट्रार राजेश मीणा ने उपभोक्ता होलसेल भण्डार की पारदर्शिता, डिजिटल प्लेटफार्म के प्रभावी उपयोग और सहकारिता आधारित रोजगार वृद्धि की संभावनाओं पर प्रकाश डाला।
उन्होंने सहकारी समितियों को वन डिस्ट्रिक्ट–वन प्रोडक्ट एवं ओपन नेटवर्क फ़ॉर डिजिटल कॉमर्स से जोड़कर ग्रामीण उत्पादों के लिए बड़े बाजार उपलब्ध कराने को विकसित भारत 2047 के लक्ष्य की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बताया।

