सरकार खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी करे: सोपा

0
38

इंदौर। सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने केन्द्र सरकार से खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कम से कम 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी करने का आग्रह करते हुए कहा है कि विदेशों से सस्ते तेल का विशाल आयात जारी रहने तथा घरेलू प्रभाग में भाव कमजोर होने से चालू खरीफ सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन के बिजाई क्षेत्र में करीब 5 प्रतिशत की गिरावट आ गई है। किसानों को लाभप्रद वापसी हासिल नहीं होने से सोयाबीन की खेती के प्रति उसका उत्साह घट गया।

सोपा के अनुसार सोयाबीन का थोक मंडी भाव 2024-25 के मार्केटिंग सीजन में 4892 रुपए प्रति क्विंटल के न्यनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे बना रहा जिससे सरकार को किसानों से लगभग 20 लाख टन सोयाबीन की रिकॉर्ड खरीद करनी पड़ी।

2025-26 सीजन के लिए इस महत्वपूर्ण तिलहन का एमएसपी बढ़ाकर 5328 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है और मौजूदा परिदृश्य को देखते हुए सोयाबीन का भाव एक बार फिर इस एमएसपी से काफी नीचे रहने की संभावना है जिससे सरकार को लगभग दोगुनी मात्रा में इसकी खरीद के लिए विवश होना पड़ सकता है।

सरकारी स्टॉक वाले सोयाबीन की बिक्री कुल लागत खर्च के मुकाबले काफी कम दाम पर की जाती है जिससे भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस स्थिति को बदलने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जरूरत है।

सोपा के चेयरमैन का सुझाव है कि सरकार को सीधे किसानों से सोयाबीन की खरीद के लिए मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) को स्थापित करके इसके स्थान पर भावान्तर भुगतान योजना आरंभ करनी चाहिए।

इससे जहां एक ओर उत्पादकों को प्रचलित बाजार मूल्य एवं एमएसपी के बीच अंतर की राशि प्राप्त हो जाएगी वहीं सरकार को सोयाबीन के भंडारण, परिवहन एवं अन्य खर्चों से भी छुटकारा मिल जाएगा जिससे राजकोष पर कम दबाव पड़ेगा।

विदेशों से सस्ते सोयाबीन तेल का विशाल आयात हो रहा है। 2024-25 के मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) में इसका आयात उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने की उम्मीद है।

इस पर अंकुश लगाना बेहद आवश्यक है इसलिए सीमा शुल्क में 10 प्रतिशत का इजाफा होना चाहिए। डीडीजीएस की तेजी से बढ़ती खपत के कारण सोयामील की मांग एवं कीमत प्रभावित हो रही है।