सरकार और संसदीय समितियां एक दूसरे की पूरक हैं: लोक सभा स्पीकर बिरला

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मुम्बई में प्राक्कलन समितियों के दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का हुआ समापन

मुंबई। संसद और राज्यों /संघ राज्य क्षेत्रों के विधानमंडलों की प्राक्कलन समितियों के सभापतियों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन आज संपन्न हुआ। समापन सत्र को संबोधित करते हुए लोक सभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि नीतियों के कुशल कार्यान्वयन और जन-केंद्रित प्रशासन के लिए शासन के विभिन्न अंगों के बीच समन्वय आवश्यक है।

पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन पर जोर देते हुए बिरला ने जनता के धन के विवेकपूर्ण उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए तंत्रों को मजबूत करने का आह्वान किया। इसके अलावा उन्होंने प्रशासनिक दक्षता में सुधार, लोगों को सही समय पर सेवाएं प्रदान किए जाने और डिजिटल युग में सुशासन के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए उन्नत डिजिटल टेक्नॉलॉजी का उपयोग करने का समर्थन किया।

बिरला ने कहा कि समितियां चाहे केंद्र की है या राज्यों की, सरकार का विरोध करने के लिए नहीं बनी हैं, बल्कि ये एक दूसरे की पूरक हैं। इन्हें सहयोग और सुधार के साधन के रूप में कार्य करते हुए रचनात्मक मार्गदर्शन प्रदान करना है। उन्होंने यह भी कहा कि सुविचारित सिफारिशें पेश करके तथा कार्यपालिका और विधायिका के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करके, ये समितियाँ पारदर्शी, जवाबदेह और प्रभावी शासन में योगदान देती हैं।

सार्वजनिक व्यय पर समिति की कड़ी निगरानी और प्रौद्योगिकी के उपयोग का समर्थन करते हुए बिरला ने कहा कि एआई और डेटा एनालिटिक्स जैसे आधुनिक तकनीकी टूल्स का लाभ उठाकर, निगरानी तंत्र को अधिक सटीक और प्रभावशाली बनाया जा सकता है।

बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि जनता के साथ सीधे जुड़े होने के कारण जनप्रतिनिधियों को जमीनी स्तर के मुद्दों की गहरी समझ होती है और वे सार्थक सहभागिता के माध्यम से बजट की जांच बेहतर ढंग से कर सकते हैं।

इस बात का उल्लेख करते हुए कि प्राक्कलन समितियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जनता का एक-एक रुपया जन कल्याण पर खर्च हो, लोक सभा अध्यक्ष ने इस बात पर जोर दिया कि देश के वित्तीय संसाधनों का उपयोग कुशलतापूर्वक और जिम्मेदारी से किया जाना चाहिए।

उन्होंने इस बात को दोहराया कि प्राक्कलन समितियों का कार्य केवल व्यय की निगरानी करना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि कल्याणकारी योजनाएं आम आदमी के लिए प्रासंगिक, सुलभ और प्रभावी हों, जिसमें सामाजिक न्याय और कल्याण पर विशेष जोर दिया गया हो।

श्री बिरला ने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण जैसे प्रौद्योगिकी-आधारित शासन से धन की चोरी कम हुई है और यह सुनिश्चित हुआ है कि लाभ सही लोगों तक पहुंचे और यह एक ऐसा लक्ष्य है जिसका समर्थन प्राक्कलन समितियों को करते रहना चाहिए।

सम्मेलन में सर्वसम्मति से छह प्रमुख प्रस्तावों को पारित किया गया, जिनमें प्राक्कलन समितियों को सशक्त करने के लिए एक दूरदर्शी रोडमैप प्रस्तुत किया गया। महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने समापन भाषण दिया। इस अवसर पर, राज्य सभा के उपसभापति, हरिवंश और संसद की प्राक्कलन समिति के सभापति संजय जायसवाल ने भी अपने विचार रखे।

महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने स्वागत भाषण दिया और महाराष्ट्र विधान सभा के उपाध्यक्ष अण्णा दादू बनसोडे ने धन्यवाद ज्ञापित किया। महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति राम शिंदे, महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर, भारतीय संसद की प्राक्कलन समिति के सदस्य, राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के विधानमंडलों की प्राक्कलन समितियों के सभापति, महाराष्ट्र विधान मंडल के सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति समापन सत्र के दौरान उपस्थित रहे। सम्मेलन में 23 राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों की प्राक्कलन समितियों के सभापतियों और सदस्यों ने भाग लिया।