कोटा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सत्य, संयम और त्याग को अपनाकर ही समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है।आचार्य प्रज्ञा सागर जी महाराज का जीवन तप, त्याग और सेवा की अद्वितीय मिसाल है।
कम आयु में ही उन्होंने जैन धर्म के आदर्शों को अपनाकर समाज कल्याण और लोकहित की राह चुनी। उनका तपस्वी जीवन संयम और समर्पण का प्रतीक है, जिसने असंख्य लोगों को प्रेरित किया।
बिरला सोमवार को महावीर नगर-1 स्थित महात्मा ज्योतिबा फूले सामुदायिक भवन प्रज्ञा लोक में आचार्य प्रज्ञा सागर जी महाराज के अवतरण दिवस समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आचार्य श्री ने सदैव आध्यात्मिक साधना के साथ समाज और पर्यावरण की रक्षा का संदेश दिया। कोटा को प्रदूषण मुक्त बनाने और वृक्ष लगाने के संकल्प ने जनचेतना को नई दिशा दी।
उन्होंने कहा कि आचार्य श्री का जीवन हमें यह सिखाता है कि सत्य, करुणा और त्याग ही श्रेष्ठ समाज और सशक्त राष्ट्र निर्माण की आधारशिला हैं। आचार्य प्रज्ञा सागर जी ने अपने आचरण से सिद्ध किया कि राष्ट्र की शक्ति विचार और चरित्र से बनती है। भगवान महावीर का उपदेश “जीओ और जीने दो” आज भी मानवता का मार्गदर्शन कर रहा है।
दशलक्षण पर्व संयम, क्षमा और आत्मशुद्धि का अवसर है : बिरला
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सोमवार को विज्ञान नगर स्थित दिगम्बर जैन मंदिर में पर्युषण पर्व पर पूज्य गणिनी श्रमणी आर्यिकारत्न विभाश्री माताजी के सान्निध्य में आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया।

इस अवसर पर बिरला ने कहा कि दशलक्षण पर्व जीवन में संयम, करुणा, त्याग, क्षमा और आत्मशुद्धि का अवसर है। इन गुणों को अपनाकर हम परिवार और समाज में सहिष्णुता, सद्भाव और नैतिक मूल्यों का वातावरण स्थापित कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि जैन धर्म के आदर्श हमें परस्पर प्रेम, विश्वास और भाईचारे की सीख देते हैं। बिरला ने उपस्थित जनों से आह्वान किया कि हम सभी अपने जीवन में क्षमा, करुणा और त्याग को आत्मसात कर समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाएं और राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं।

