सत्य और विनम्रता से ही मिलती है जीवन की सफलता: विभाश्री माताजी

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कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में चातुर्मास के दौरान गुरुवार को विभाश्री माताजी ने प्रवचन देते हुए कहा कि मिथ्यात्व, कषाय, राग-द्वेष, पुण्य और पाप ये छह जीव की पर्याय हैं। यदि किसी व्यक्ति से क्षणिक क्रोध उत्पन्न होता है तो उससे बैर नहीं पालना चाहिए, क्योंकि ऐसी कषाय नरक गति की ओर ले जाती है।

भक्तामर रहस्य प्रवचन में उन्होंने कहा कि भगवान के समोशरण में रोगी निरोगी हो जाता है, अंधे को दृष्टि और लंगड़े को गति प्राप्त होती है। महावीर प्रभु के समोशरण का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि वहाँ सभी जीव चाहे पशु हों या पक्षी भगवान के वचनों से प्रभावित होकर अपने आपसी बैर का त्याग कर देते हैं।

समोशरण में 12 सभाएँ और 20,000 सीढ़ियाँ होती हैं। पहली सीढ़ी से प्रवेश करने वाला जीव क्रमशः 20,000वीं सीढ़ी तक पहुँचकर समोशरण का अतिशय प्राप्त होता है। प्रवचन के अंत में आचार्यश्री ने कहा कि जीवन की वास्तविक सफलता सच्चाई और विनम्रता में है। राग-द्वेष का त्याग कर ही मनुष्य वास्तविक धर्म और मुक्ति की ओर अग्रसर हो सकता है।