कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में रविवार को आर्यिका विभाश्री माताजी की पावन वर्षायोग समिति की ओर से आचार्य श्री को नवीन पिच्छिका प्रदान की गई। आचार्य श्री ने भी अपनी पुरानी पिच्छिका पूज्य माताजी को भेंट कर विनम्रता का भाव प्रकट किया। कार्यक्रम में लक्ष्मी पूजन एवं दीपावली पूजन पुस्तिका का विमोचन भी संपन्न हुआ।
विज्ञान नगर में प्रवचन के दौरान आर्यिका विभाश्री माताजी ने कहा कि आत्मा का कल्याण संयम, साधना और सत्संग से ही संभव है। मनुष्य जीवन का वास्तविक उद्देश्य आत्मा को पहचानना और कर्मबंधन से मुक्त होना है।
उन्होंने कहा कि आधुनिक मनुष्य बाहरी सुख-सुविधाओं में उलझकर अपने भीतर की शांति को खो चुका है। आत्मा की पवित्रता तभी बनी रह सकती है जब विचार, वाणी और आचरण संयमित हों। साधना से आत्मा का तेज बढ़ता है और वही स्थायी आनंद देता है।
माताजी ने कहा कि धर्म का पालन केवल पूजा-विधान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के प्रत्येक क्षण में जागरूकता और करुणा से जुड़ा हुआ है। उन्होंने श्रावक-श्राविकाओं से आह्वान किया कि वे अपने जीवन में अहिंसा, सत्य और दया को अपनाकर समाज में शांति और सद्भाव का संदेश फैलाएं।

