कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए आर्यिका विशुद्धमति माताजी ने कहा कि संकल्प लेकर किए गए कार्य ही सफलता दिलाते हैं। उन्होंने ‘तल्पसार सूत्र’ के माध्यम से जीवन में धर्म, तप और संयम की भूमिका को रेखांकित करते हुए सात लोक स्थितियों के आध्यात्मिक विवेचन पर विस्तार से प्रकाश डाला।
माताजी ने कहा कि मनुष्य को अच्छे कर्म करने का संकल्प लेना चाहिए। सिर्फ संकल्प करने से नहीं बल्कि उसे पूरा करने की दिशा में निरंतर प्रयास करने से ही सच्ची सिद्धि प्राप्त होती है। उन्होंने कहा कि जो मनुष्य आत्म कल्याण की दिशा में दृढ़ निश्चय करता है, सफलता उसी के चरण चूमती है। माताजी ने ‘भगवान जिनेंद्र की पूजा पर श्रद्धा और निष्ठा’ को भी संकल्प-शक्ति का प्रतीक बताया।
समर्पित साधना और संयम से मिलती है मुक्ति
आर्यिका विशुद्धमति माताजी ने अपने प्रवचन में कहा कि किसी को भी पीड़ा देने से पहले यह सोचना चाहिए कि हम स्वयं कितना पुण्य अर्जित कर रहे हैं। दूसरों को पीड़ा देना या छल करना हमारे आत्मकल्याण के मार्ग को बाधित करता है।
मंदिर समिति के अध्यक्ष राजमल पाटोदी ने बताया कि धर्म सभा का प्रारम्भ ज्ञानचन्द संजय कुमार बांझल परिवार द्वारा दीप प्रज्जवलन कर किया गया। गुरुमां के पाद प्रक्षालन एवं शास्त्र भेंट का सोभाग्य भी इसी प्रकार ने प्राप्त किया। मंदिर समिति के मंत्री पी. के. हरसोरा ने बताया कि सांयकाल जिज्ञासा समाधान गुरुभक्ति एवं आरती का कार्यक्रम हुआ।

