कोटा। कानून बनने तक केंद्र सरकार की गाइडलाइन को सभी शैक्षणिक संस्थान, कोचिंग सेंटरों व प्रशिक्षण संस्थानों पर लागू करने का मामला अदालत में पहुंच गया है। इस मांग को पूरा करवाने को लेकर वकील सहित तीन जनों ने स्थाई लोक अदालत में जनहित याचिका पेश की है। इस पर लोक अदालत ने जिला कलेक्टर को नोटिस जारी कर उनसे जवाब-तलब किया है। याचिका पर सुनवाई 18 अगस्त को होगी।
वकील लोकेश कुमार सैनी एवं स्वतन्त्र पत्रकार धर्म बन्धु आर्य ने अपनी याचिका में जिला कलेक्टर को पार्टी बनाया है। जिसमें बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि दो माह के भीतर कोचिंग सेंटरों के लिये नियम लागू किया जावे।
जिनमें पंजीकरण, छात्रों के संरक्षण और शिकायत निवारण तंत्र को अनिवार्य किया जावे। इन नियमों को लागू कराने, निरीक्षण व शिकायतों की देखरेख के लिये कलेक्टर की मध्यस्थता में जिला स्तरीय निगरानी समितियों के गठन का आदेश दिया है, जो कलेक्टर के संज्ञान में है।
याचिकाकर्ताओं ने बताया कि विद्यार्थियों की आत्महत्या के मुद्दे पर सभी शिक्षण संस्थाओं से आत्महत्या रोकने के लिये एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति अपनाने और लागू करने को कहा है। साथ ही केंद्र सरकार को 90 दिनों के भीतर शपथ पत्र पेश करना है, जिसमें नियमों की पालना राज्यों से समन्वय निगरानी तंत्र और छात्र मानसिक स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय टास्क फोर्स की रिपोर्ट के लिये समय सीमा की जानकारी देनी है।
कोर्ट ने कहा कि जब तक कानून या नियामक ढांचा लागू न हो तब तक छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य की रक्षा के लिये कोर्ट के दिशा निर्देश लागू किये जावे। सभी शैक्षणिक संस्थान आत्महत्या रोकने के लिये एक समान मानसिक स्वास्थ्य नीति अपनायें जिसे हर वर्ष अपडेट करना होगा। इसे संस्थान की वेबसाइट व नोटिस बोर्ड पर सार्वजनिक करना होगा।

