शिक्षा को चरित्र, संस्कृति और जीवन कौशल के विकास का माध्यम बनाना है : डॉ. सिंह

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कोटा। भारतीयता, सांस्कृतिक मूल्यों और आदर्श जीवन सिद्धांतों पर आधारित एक सशक्त शिक्षा प्रणाली स्थापित करने के उद्देश्य से गठित भारतीय शिक्षा बोर्ड (BSB) पतंजलि, हरिद्वार देश में शिक्षा के एक नए युग की शुरुआत कर रहा है।

यह जानकारी बोर्ड के कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. एन.पी. सिंह ने शनिवार को पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने बोर्ड की आवश्यकता, महत्व, कार्यप्रणाली और विशेषताओं पर विस्तार से जानकारी दी। स्कूल शिक्षा परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल शर्मा ने भारतीय शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम व शिक्षा पद्धति के पर अपने विचार व्यक्त किए।

शर्मा ने बताया कि भारतीय शिक्षा बोर्ड अन्य राष्ट्रीयकृत बोर्ड केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE), भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (CISCE/ICSE/ISC), राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) की तरह राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है।

डॉ. सिंह दो दिवसीय कोटा प्रवास के दौरान रविवार को सुबह 10 बजे श्री रामशांताय सभागार, स्वामी विवेकानंद सीनियर सेकेंडरी स्कूल, महावीर नगर तृतीय में आयोजित संभाग स्तरीय संगोष्ठी को संबोधित करेंगे। इस अवसर पर वे शिक्षा प्रणाली में भारतीय परंपरा, वेद, उपनिषद, योग, संस्कृत जैसी प्राचीन ज्ञानधारा और आधुनिक विज्ञान, गणित एवं प्रौद्योगिकी के समन्वय पर अपने विचार प्रस्तुत करेंगे।

डॉ. सिंह ने बताया कि बोर्ड का उद्देश्य केवल किताबी ज्ञान देना नहीं, बल्कि विद्यार्थियों को नवाचार और नेतृत्व के लिए तैयार करना है। “कक्षा 6 से ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की पढ़ाई शुरू की जाएगी, ताकि बच्चे प्राथमिक स्तर से ही भविष्य की तकनीकी चुनौतियों के लिए तैयार हो सकें।

उन्होंने कहा। उन्होंने जोर देकर कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल नौकरी पाना नहीं, बल्कि समाज में नेतृत्व और सकारात्मक परिवर्तन लाना होना चाहिए। अखण्ड भारत का निर्माण जाति और संप्रदाय से ऊपर उठकर, एक भारत की विचारधारा पर आधारित होना चाहिए।

भारतीय शिक्षा बोर्ड के पाठ्यक्रम में हिन्दी, संस्कृत और अंग्रेजी के साथ संविधान में उल्लिखित सभी भाषाओं को स्थान दिया गया है। डॉ. सिंह ने कहा, हमारा लक्ष्य शिक्षा को अंकों और डिग्रियों से आगे ले जाकर, चरित्र, संस्कृति, आत्मविश्वास और जीवन कौशल के विकास का माध्यम बनाना है।

बोर्ड की स्थापना को महज छह माह हुए हैं, और वर्तमान में देशभर के लगभग 1,000 विद्यालयों में इसका पाठ्यक्रम लागू किया जा चुका है। तीन वर्षों में की तपस्या 2,000 प्रोफेसर और 5,000 पीजीटी शिक्षकों के साथ सहयोग से विभिन्न विषयों पर 500 संगोष्ठियां आयोजित कर पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार की गई है।

गौरतलब है कि भारतीय शिक्षा बोर्ड को भारत सरकार से 4 अगस्त 2022 को औपचारिक मान्यता प्राप्त हुई थी और यह राष्ट्रीय शिक्षा परिषद के रूप में ‘स्वदेशी दृष्टिकोण’ को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है।