नयी दिल्ली। जीरा के दाम मामूली बढ़त के साथ स्थिर बने हुए हैं। यह बढ़त मुख्य रूप से रिटेल सीजन के समाप्त होने के बाद कमजोर निर्यात मांग के बीच देखने को मिली। बाजार को कुछ सहारा तब मिला जब जीएसटी परिषद ने जीरा पर कर दर 5% कर दी, जिससे एफएमसीजी निर्यात और घरेलू खपत को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
हालांकि, भाव में नरमी बनी रहीं। क्योंकि आपूर्ति पर्याप्त थी और विदेशी बाजार से खरीदारी रुचि सीमित रही। किसानों के पास वर्तमान में लगभग 20 लाख बैग जीरा मौजूद हैं, जिनमें से सीजन के अंत तक केवल 3-4 लाख बैग ही व्यापार में आने की उम्मीद है। इससे अनुमानित कैरी-फॉरवर्ड स्टॉक लगभग 16 लाख बैग बनता है।
वर्तमान सत्र के लिए उत्पादन का अनुमान 90-92 लाख बैग है, जो पिछले वर्ष के 1.10 करोड़ बैग से कम है, क्योंकि प्रमुख क्षेत्रों में बुवाई घट गई है। गुजरात में लगभग 42-45 लाख बैग और राजस्थान में 48-50 लाख बैग उत्पादन होने का अनुमान है।
वैश्विक स्तर पर, चीन, सीरिया, तुर्की और अफ़ग़ानिस्तान में प्रतिकूल मौसम और भू-राजनीतिक तनाव के कारण जीरा का उत्पादन प्रभावित हुआ है, हालांकि भारतीय जीरा की निर्यात मांग कमजोर बनी हुई है।
अप्रैल-जुलाई 2025 के दौरान निर्यात 19.81% घटकर 73,026 टन रह गया, जो पिछले वर्ष के 91,070 टन की तुलना में कम है। जीरा के लिए तत्काल समर्थन स्तर ₹19,040 और ₹18,950 पर है, जबकि प्रतिरोध स्तर ₹19,280 पर देखा जा रहा है। इसके ऊपर ब्रेकआउट होने पर कीमतें निकट भविष्य में ₹19,430 तक जा सकती हैं।

