कोटा। गणाचार्य समाधिस्थ विराग सागर महाराज का प्रथम समाधि दिवस शुक्रवार को कोटा के तलवंडी स्थित श्री महावीर दिगंबर जैन मंदिर में श्रद्धा एवं भक्ति भाव से मनाया गया। इस अवसर पर गणिनी आर्यिका विभा श्री माताजी ससंघ के सान्निध्य में आयोजित कार्यक्रम में समस्त जैन समाज ने भाग लेकर गुरुवर को कृतज्ञता के साथ स्मरण किया।
महामंत्री प्रकाश सामरिया ने बताया कि प्रातःकाल जिनाभिषेक एवं शांतिधारा के पश्चात देव-शास्त्र-गुरु की विधिवत पूजन संपन्न की गई। इसके बाद श्री महावीर दिगंबर जैन महिला मंडल तलवंडी की अध्यक्ष अनिला एवं मंत्री सुनीता सामरिया के निर्देशन में एक भव्य संगीतमय पूजन का आयोजन हुआ।
इसमें कोटा शहर के विभिन्न मंडलों से आई श्रद्धालु महिलाओं सहित समाज के प्रमुखजन सम्मिलित हुए। इस अवसर पर आयोजित विनयांजलि सभा में अनेक श्रद्धालुओं ने गुरुदेव के प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित किए।
गणिनी आर्यिका विभा श्री माताजी ने अपने भावपूर्ण उद्बोधन में आचार्य श्री को अनुशासनप्रिय, सरल हृदय और संयम मार्ग के प्रेरणास्त्रोत बताते हुए कहा कि “गुरुदेव ने सामान्य को चैतन्य कृति बना दिया। उन्होंने न केवल संयम का मार्ग दिखाया, बल्कि अपने जीवन काल में 500 से अधिक शिष्यों को दीक्षा प्रदान की तथा लगभग 150 समाधि विधि कराई।” उन्होंने बताया कि आचार्य श्री ने अपने जीवन में सैकड़ों ग्रंथों की रचना एवं टीका की, जो जिनशासन को समर्पित अमूल्य धरोहर हैं।
प्रवक्ता राजकुमार लुहाड़िया ने जानकारी दी कि श्रद्धांजलि सभा के पश्चात आचार्य श्री की स्मृति में एक स्मृति-वृक्ष का रोपण किया गया। अंत में आयोजित चक्र महामंडल विधान में 32 अर्घ्य सिद्धों को समर्पित किए गए। संध्या वेला में संगीतमय सामूहिक आरती एवं भैया जी द्वारा सिद्धों की महिमा पर प्रवचन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

