विभाश्री माताजी के सान्निध्य में ऐतिहासिक कल्पद्रुम विधान का शुभारंभ

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कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में आज से ऐतिहासिक कल्पद्रुम महामंडल विधान का शुभारंभ हुआ। गौरवाध्यक्ष राजमल पाटौदी ने बताया कि यह आयोजन भक्तों को आत्मिक शांति, साधना और पुण्य संचय का अनुपम अवसर प्रदान कर रहा है।

अपने मंगल प्रवचन में विभाश्री माताजी ने जीवन के गूढ़ सत्य और मानवीय कर्तव्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संसार में सबसे बड़ी दुर्गति मोह और आसक्ति है। धन, सोने-चाँदी और विषय-वासना में उलझा हुआ मनुष्य वास्तविकता से दूर होता है। यही मोह और लालसा जीवन को दुर्गति की ओर ले जाते हैं।

उन्होंने कहा कि पुण्य गुरु मुनिराज लोचन के उपदेश में स्पष्ट है कि संसार की सबसे बड़ी विडंबना केवल केवलीज्ञान को प्राप्त न कर पाने में है। जिसने केवलीज्ञान को पा लिया वही इस जीवन को सार्थक करता है और वही सच्चे अर्थों में संसार सागर से पार उतर सकता है।

माताजी ने समझाया कि मानव जीवन अनमोल है और इसे आत्मशुद्धि के लिए ही प्रयुक्त करना चाहिए। मोह, लोभ, क्रोध और अहंकार का त्याग कर ही जीवन को पवित्र बनाया जा सकता है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे भगवान की वाणी का श्रवण करें, धर्म को आचरण में उतारें और इस दुर्लभ मानव जन्म को सार्थक बनाएँ।