वर्ष 2024-25 में दलहन आयात उछलकर 73 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर

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नई दिल्ली। उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2018-19 से 2022-23 के बीच भारत में दलहनों का सालाना औसत आयात 27 लाख टन रहा। वित्त वर्ष 2023-24 में यह बढ़कर 48 लाख टन तथा 2024-25 में उछलकर 73 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। 2024-25 के दौरान सभी पांच प्रमुख दलहनों-तुवर, उड़द, चना, मसूर एवं पीली मटर का आयात पूरी तरह शुल्क मुक्त रहा।

अब भी तुवर, उड़द एवं पीली मटर का शुल्क मुक्त आयात हो रहा है जबकि देसी चना एवं मसूर पर 10 प्रतिशत का सीमा शुल्क लागू है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान दलहनों के सकल आयात में पीली मटर की भागीदारी सबसे ज्यादा 29.5 प्रतिशत रही। इसके बाद देसी चना की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत, तुवर की 16.7 प्रतिशत, मटर की 16.6 प्रतिशत और उड़द की हिस्सेदारी 11.2 प्रतिशत दर्ज की गई।

कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020-21 के दौरान दलहनों के आयात पर भारत की निर्भरता केवल 9 प्रतिशत रही थी जो 2024-25 तक आते-आते उछलकर 23.1 प्रतिशत पर पहुंच गई।

सरकार ने हाल ही में दलहनों में आत्मनिर्भता के लिए मिशन को मंजूरी दी है जिसके तहत वर्ष 2030-31 तक दलहनों का घरेलू उत्पादन बढ़ाकर 350 लाख टन पर पहुंचाने का लक्ष्य नियत किया गया है। इस मिशन के लिए 11,440 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है।

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार दलहनों का घरेलू उत्पादन 2023-24 की तुलना में 4 प्रतिशत बढ़कर 2024-25 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन में 252.30 लाख टन पर पहुंच गया। 2025-26 के सीजन के लिए 270 लाख टन दलहनों के उत्पादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है

जिसमें खरीफ सीजन में 80.50 लाख टन, रबी सीजन में 165.90 लाख टन तथा ग्रीष्मकालीन (जायद) सीजन में 23.90 लाख टन के उत्पादन का लक्ष्य शामिल है। वर्तमान समय में देश के अंदर दलहनों का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है और कीमतों में स्थिरता देखी जा रही है। सरकार पर पीली मटर का आयात रोकने के लिए चौतरफा दबाव पड़ रहा है मगर वह इस पर अंकुश लगाने के प्रति ज्यादा गंभीर नहीं दिखती है।