कोटा। भारतीय शिक्षा बोर्ड (BSB) एक वैध और मान्यता प्राप्त शिक्षा परिषद है, जिसकी स्थापना भारत सरकार ने 4 अगस्त 2022 को की थी। इसका उद्देश्य भारतीय संस्कृति व विरासत के अनुरूप शिक्षा देना तथा वैदिक, आधुनिक और रोजगारोन्मुखी शिक्षा को एक साथ समाहित करना है। इस बोर्ड का मुख्यालय हरिद्वार स्थित पतंजलि योगपीठ के पास है और इसके संचालन का दायित्व भारत सरकार ने पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट को सौंपा है।
यह बात संभाग स्तरीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए रविवार को श्री रामशांताय सभागार, स्वामी विवेकानंद सीनियर सेकेंडरी स्कूल, महावीर नगर तृतीय में भारतीय शिक्षा बोर्ड के वर्तमान कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. एन.पी. सिंह (आईएएस, सेवानिवृत्त) ने कही।
उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य भारतीय संस्कृति, वैदिक शिक्षा, योग, संस्कृत, आधुनिक विज्ञान एवं गणित आदि का एकीकरण करके छात्रों को संपूर्ण व्यक्तित्व विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करना है। बोर्ड की पाठ्यक्रम रूपरेखा राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और राष्ट्रीय पाठ्यक्रम रूपरेखा 2005 के सिद्धांतों के अनुरूप होती है, जिसमें नैतिक, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक और रोजगारोन्मुखी शिक्षा का समावेश है।
संगोष्ठी में उपस्थित स्कूल संचालकों के प्रश्नों का समाधान भी डॉ. एन.पी. सिंह एवं अनिल शर्मा द्वारा किया गया। अकलंक एसोसिएशन के अध्यक्ष पीयूष बज के सीबीएसई से मूल्यांकन संबंधी प्रश्न पर उत्तर देते हुए डॉ. एन.पी. सिंह ने बताया कि बोर्ड में यूजीसी, एनसीईआरटी, विभिन्न विषयों में आईआईटीयन और पद्मभूषण प्राप्त व्यक्तियों को सदस्य बनाया गया है, जिन्होंने वर्षों की तपस्या से बोर्ड के गठन, पाठ्यक्रम विकास, शिक्षण पद्धति और मूल्यांकन पद्धति के लिए पैनल तैयार किए हैं।
स्कूल शिक्षा परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल शर्मा ने बताया कि यहां हर कक्षा में प्रत्येक विषय को नैतिक शिक्षा से जोड़ा गया है। अंग्रेजी की किताबों के नाम भी नौ ग्रहों पर आधारित रखे गए हैं। यह भारत के पुनर्जागरण का प्रयास है। यहां कक्षा प्रथम से ही संस्कृत शिक्षा पढ़ाई जाएगी। उन्होंने संगोष्ठी में आए प्रश्नों के उत्तर वैधानिकता, बोर्ड मान्यता, आरटीई, ग्रामीण विद्यालयों की समस्या, पाठ्यक्रम, किताबों, अन्य बोर्ड से हस्तांतरण आदि विषयों पर दिए।
डॉ. नीता औदिच्य ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि 1.5 वर्षों से अकलंन मंडाना में भारत शिक्षा बोर्ड का पाठ्यक्रम स्कूल में पढ़ा रही हैं। बच्चों के दादा/नाना कक्षा एक से ही अपने बच्चो को संस्कृत व श्लोक पढ़ते और बोलते हुए देखकर उन्हें प्रसन्नता होती है। उन्होंने कहा कि यह पौराणिकता और आधुनिकता का संगम है। पवन दिलावर ने अपने उद्बोधन में पतंजलि के कार्यों से देश निर्माण की बात कही।
टीचर ट्रेनिंग और गर्भवती महिलाओं की कक्षा: कार्यवाहक अध्यक्ष डॉ. एन.पी. सिंह ने अपने उद्बोधन में कई उदाहरणों से स्पष्ट किया कि बच्चा मां के गर्भ में सीखना प्रारंभ कर देता है और हमारे ग्रंथों में इसके प्रमाण भी हैं। ऐसे में भारतीय शिक्षा बोर्ड से जुड़े स्कूलों के आस-पास की गर्भवती महिलाओं के लिए कार्यशालाओं का आयोजन किया जाएगा और शिशु के जन्म से पूर्व ही उसे भारतीय संस्कृति से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि एक अच्छे शिक्षण के लिए बेहतर अध्यापक की आवश्यकता भी है, इस हेतु समय-समय पर टीचर ट्रेनिंग शिविर का आयोजन किया जाएगा।
शिक्षा में अनेकता में एकता’ का भाव: डॉ. सिंह ने कहा कि बोर्ड के पाठ्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों की भाषाओं और लोक संस्कृति को शामिल किया गया है। कन्नड़, तेलुगू, असमिया, बिहारी आदि क्षेत्रों के साहित्य को हिंदी में रूपांतरित कर छात्रों तक पहुंचाया गया है, जबकि पुस्तकों के अंत में मूल भाषा में भी सामग्री दी गई है। इससे विद्यार्थी हर प्रांत की भाषा और संस्कृति से परिचित होंगे और अनेकता में एकता’ का भाव मजबूत होगा।
शिक्षण में दृष्टिकोण का बदलाव: उन्होंने कहा कि पारंपरिक गणना आधारित प्रश्नों के साथ-साथ अब पाठ्यक्रम में पर्यावरण, सामाजिक जिम्मेदारी और व्यवहारिक दक्षता से जुड़े प्रश्न होंगे। जैसे 50 पेड़ों से मिलने वाली ऑक्सीजन 200 पेड़ लगाने के बाद कितने प्रतिशत बढ़ेगी? उद्देश्य यह है कि शिक्षा केवल ज्ञान ही नहीं, बल्कि नेतृत्व और समाधान क्षमता भी दे।पाठ्यक्रम में भारतीय संस्कृति, वेद, उपनिषद, भगवद्गीता, पतंजलि योग और आधुनिक विज्ञान-संस्कृत विषयों का संतुलित समावेश है।
गुरुकुल शिक्षा, संस्कार, गुरु-शिष्य परंपरा के साथ आधुनिक विज्ञान, गणित, कंप्यूटर साइंस, अंतरिक्ष विज्ञान आदि विषय भी शामिल हैं। व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास पर जोर दिया गया है, ताकि विद्यार्थी आत्मनिर्भर और उद्यमशील बन सकें। इसमें श्रम का सम्मान और नारी उत्थान की अवधारणा भी शामिल है। संविधान के संकल्प, मानवता, वैश्विक एकता वसुधैव कुटुम्बकम्, सामाजिक समरसता और नैतिकताओं को भी पाठ्यक्रम में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल शर्मा, प्रदेश उपाध्यक्ष रघुकुल नंदन गौतम, शिक्षाविद कुलदीप माथुर, भारत स्वाभिमान राज्य प्रभारी अरविंद कुमार पांडेय व कोषाध्यक्ष पवन दिलावर, क्रिकेट एसोसिएशन बारां के प्रतिनिधि मंचासीन रहे। मंच संचालन मोटिवेशनल स्पीकर हिमांशु अरोड़ा ने किया। अंत में प्रदेश उपाध्यक्ष रघुकुल नंदन गौतम ने आभार व्यक्त किया।

