नई दिल्ली। प्रधानमंत्री के सुझाव के अनुसरण में मोटापा घटाने के प्रयास के क्रम में भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) द्वारा होटलों एवं रेस्टोरेंट्स (रेस्तरां) के लिए एक एडवायजरी जारी किए जाने की संभावना है जिसमें उसे प्रत्येक डिश (व्यंजन) में इस्तेमाल किए जाने वाले खाद्य तेल एवं चीनी की मात्रा का उल्लेख करने के लिए कहा जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में इन दोनों खाद्य उत्पादों का सबसे बड़ा खपतकर्ता देश है और मोटापा बढ़ाने में इन दोनों उत्पादों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यदि खाद्य व्यंजन में उपयोग होने वाले खाद्य तेल एवं चीनी की मात्रा का उल्लेख होटल या रेस्तरां के डिस्प्ले बोर्ड पर किया जाएगा तो इससे ग्राहकों को उसकी जानकारी पहले मिल जाएगी और वे सावधान हो सकते हैं।
ग्राहकों को कैलोरी इनटेक से अवगत करवाना जरुरी है। सरकार देश में मोटापे की बढ़ती समस्या से चिंतित है और इसे नियंत्रित करने के लिए अनेक कदम उठा रही है।
यह प्रयास भी उसका ही एक हिस्सा है। सरकार कुछ खाद्य व्यवसाय संचालकों (एफबीओ) को यह संदेश भेज रही है कि वे इस प्रयास में शामिल होकर नियम को क्रियान्वित करें।
वैसे होटलों एवं रेस्तराओं में खाद्य व्यंजनों में चीनी एवं खाद्य तेल की मात्रा का उल्लेख करना अनिवार्य नहीं बल्कि स्वैच्छिक होगा और इस नियम का पालन नहीं करने पर कोई कानूनी कार्रवाई नहीं होगी। लेकिन संचालकों / प्रबंधकों से इस नियम का पालन करने की उम्मीद रहेगी।
इससे यह भी साबित हो जाएगा कि खाद्य व्यवसाय संचालक देश में मोटापा घटाने के सरकारी प्रयास में किस तरह और कितना सहयोग देते हैं। यदि खाद्य व्यंजन में चीनी तथा खाद्य तेल का उपयोग कम से कम किया जाए तो मोटापे की समस्या पर काफी हद तक अंकुश लग सकता है।
भारत दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे प्रमुख आयातक देश है जबकि चीनी के उत्पादन में ब्राजील के बाद दूसरे नंबर पर है। भारत में इन दोनों खाद्य उत्पादों की प्रति व्यवक्ति औसत वार्षिक खपत में पिछले कुछ साल से भारी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2050 तक भारत में 44 करोड़ से अधिक लोग मोटापा या ओवरवेट का शिकार हो सकते हैं।

