जयपुर। Drug scandal In Rajasthan: राजस्थान में सरकारी स्वास्थ्य योजना RGHS (Rajasthan Government Health Scheme) के तहत बड़ा दवा घोटाला सामने आया है। दवाइयों की बिक्री में भारी गड़बड़ी के आरोप में ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट ने प्रदेशभर की 63 मेडिकल दुकानों पर शिकंजा कसते हुए बड़ी कार्रवाई की है।
इनमें से 30 दुकानों के लाइसेंस आजीवन रद्द कर दिए गए हैं, जबकि 33 दुकानों के लाइसेंस अस्थाई रूप से सस्पेंड किए गए हैं। जांच में सामने आया कि कई दुकानदारों ने जितनी दवाइयों के बिल पेश किए, वास्तव में उन्होंने उतनी दवाइयां खरीदी ही नहीं थीं।
ड्रग कंट्रोलर अजय फाटक ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि RGHS योजना के तहत राज्यभर में फर्जी बिलिंग और दवा घोटाले की लगातार शिकायतें मिल रही थीं। उन्होंने बताया कि कई दुकानदारों ने लाखों रुपए के बिल क्लेम किए, लेकिन वास्तविक खरीद रिकॉर्ड में उनकी खरीद बेहद कम निकली।
जांच में यह भी पाया गया कि कुछ दुकानों ने बिलों पर फर्जी फार्मासिस्ट साइन करके उन्हें पेश किया। फाटक ने कहा, “इन मेडिकल स्टोर पर जो दवाएं दिखाकर क्लेम किए गए, उनमें से अधिकांश दवाएं स्टॉकिस्ट या कंपनियों से खरीदी ही नहीं गई थीं। साफ है कि यह एक सुनियोजित घोटाला है।”
ड्रग विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, 12 जिलों में यह गड़बड़ी फैली हुई थी। सबसे ज्यादा मामले भरतपुर जिले से सामने आए हैं, जहां 17 मेडिकल दुकानों पर कार्रवाई की गई। वहीं, राजधानी जयपुर में 13, बारां में 3, और नागौर, झुंझुनूं, सीकर, हनुमानगढ़, धौलपुर, दौसा, भीलवाड़ा, अलवर और झालावाड़ की 2 से 5 दुकानों में अनियमितताएं पाई गईं।
ड्रग कंट्रोलर कार्यालय ने शिकायतों के बाद राज्यभर के ड्रग कंट्रोल ऑफिसर्स (DCOs) को जांच का जिम्मा सौंपा था। इन अफसरों ने संबंधित दुकानों की बिल बुक, स्टॉक रजिस्टर, स्टॉकिस्ट से खरीदी का रिकॉर्ड, फार्मासिस्ट के दस्तावेज और RGHS के क्लेम का मिलान किया। इसमें सामने आया कि कई दुकानों ने क्लेम तो लाखों के किए लेकिन खरीदी के रिकॉर्ड नदारद थे।
नकली फार्मासिस्ट, कागजों में हेराफेरी
कुछ दुकानों के बिल्स पर जो फार्मासिस्ट साइन थे, वे या तो फर्जी निकले या जिनका कोई रजिस्ट्रेशन ही नहीं था। इससे स्पष्ट हुआ कि बिल केवल कागजी तौर पर बनाए गए और असल में मरीजों को दवा नहीं दी गई।
अब आगे क्या?
ड्रग विभाग ने जिन दुकानों के लाइसेंस रद्द किए हैं, वे अब भविष्य में दवाइयों का कोई व्यापार नहीं कर सकेंगी। वहीं, जिनके लाइसेंस अस्थाई रूप से सस्पेंड किए गए हैं, उन्हें विभागीय सुनवाई में अपनी सफाई देनी होगी।
राज्य सरकार इस पूरे मामले की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को भी भेज सकती है ताकि आगे की जांच में क्रिमिनल एंगल से भी कार्रवाई की जा सके।राजस्थान में सरकारी योजनाओं के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े का यह एक और बड़ा उदाहरण है।
दवाओं जैसे संवेदनशील क्षेत्र में भी दुकानदारों द्वारा मुनाफाखोरी के लिए नियमों की धज्जियां उड़ाना न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि मरीजों की जान से भी खिलवाड़ है। अब देखना होगा कि इस कार्रवाई के बाद सरकार और विभाग इस पर कितनी सख्ती से आगे बढ़ते हैं।

