राग-द्वेष छोड़े बिना हमें आत्मा के सूर्य का प्रकाश नहीं मिल सकता: विभाश्री माताजी

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कोटा। विज्ञान नगर स्थित दिगंबर जैन मंदिर में गणिनी आर्यिका विभाश्री माताजी शनिवार को अपने प्रवचन में कहा कि देव गति में 32 इन्द्र होते हैं और वे अपनी-अपनी लोकों में निवास करते हैं। देव गति में भी जीवों को कर्मों के आधार पर जन्म मिलता है। यदि मनुष्य अपनी शुद्ध भावना, संयम और विवेक से जीवन जीता है, तो वह देव गति को प्राप्त कर सकता है।

विभा श्री माता जी ने प्रवचन में समझाया कि जब तक हम अपने अज्ञान, राग-द्वेष और मोह को नहीं छोड़ते, तब तक आत्मा के सूर्य का प्रकाश हमें नहीं मिल सकता। जो आत्मा सम्यक दर्शन और सम्यक ज्ञान के साथ आत्म साधना करता है, वही जीवन को वास्तविक अर्थों में प्रकाशित करता है।